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प्रदेश में 11 मिलेट्स एवं खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना के लिए 3 करोड़ 37 लाख रुपये की अनुदान सहायता दी – कृषि मंत्री

जयपुर, 17 जुलाई। कृषि मंत्री लालचन्द कटारिया ने सोमवार को विधानसभा में बताया कि प्रदेश में 11 मिलेट्स एवं खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना के लिए 3 करोड़ 37 लाख रुपयों की अनुदान सहायता दी गई है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में वर्तमान में रागी, कंगनी, सावां, चीना, कोदो तथा कुटकी के बीज उपलब्ध नहीं हैं। राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में ही इन बीजों को विकसित करने के लिए इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मिलेट रिसर्च, हैदराबाद से बीज मंगाए गए हैं।

कटारिया ने प्रश्नकाल के दौरान इस संबंध में सदस्य द्वारा पूछे गये पूरक प्रश्न का जवाब देते हुए कहा कि जनजाति क्षेत्र में 99 प्रतिशत बुआई मक्का की होती है। इस क्षेत्र में मिलेट्स का उपयोग कम किया जाता है। उन्होंने बताया कि राजस्‍थान मिलेट्स प्रोत्‍साहन मिशन के तहत मिलेट्स प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना के लिए किसी भी जिले से किसानों द्वारा आवेदन नहीं किया गया है। उन्होंने बताया कि मिलेट्स एवं अन्य खाद्य सामग्री की प्रसंस्करण इकाइयों के लिए निजी कम्पनियों के 20 आवेदन प्राप्त हुए हैं। इनमें से 11 प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना के लिए 3 करोड़ 37 लाख रुपयों की अनुदान सहायता दी गई है। उन्होंने बताया कि सभी सदस्यों को मिलेट्स के संबंध में जानकारी देने वाली पुस्तिका भी दी जाएगी।

 इससे पहले कृषि मंत्री ने विधायक कैलाश चन्द्र मीणा के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में कहा कि मुख्‍यमंत्री द्वारा वर्ष 2022-23 के बजट में राजस्‍थान मिलेट्स प्रोत्‍साहन मिशन की घोषणा की गई है। मिशन के अन्‍तर्गत लघु एवं सीमान्‍त किसानों को उन्‍नत किस्‍मों के नि:शुल्‍क बीज,  सूक्ष्‍म पोषक तत्‍व एवं जैव कीटनाशी किट अनुदानित दर पर वितरण,  मिलेट्स की प्रथम 100 प्रसंस्‍करण ईकाइयों की स्‍थापना पर अनुदान, बाजरा व अन्‍य मिलेट्स के संवर्धन, प्रोत्‍साहन व नवीनतम तकनीकी जानकारी उपलब्‍ध कराने की दृष्टि से जोधपुर कृषि विश्‍वविद्यालय के अन्‍तर्गत मिलेट्स उत्कृष्टता केन्‍द्र की स्‍थापना आदि प्रावधान किये गये हैं।

      कटारिया ने बताया कि रागी, कंगनी, सावां, चीना, कोदो, कुटकी फसलें मिलेट्स के अन्‍तर्गत शामिल हैं। इनकी पोषण गुणवता के बारे में जन – जागरूकता कार्यक्रम प्रस्‍तावित किये गये हैं। उन्होंने इसका विवरण सदन के पटल पर रखा। उन्होंने बताया कि  राज्‍य की बीज उत्‍पादक संस्‍थाओं, राजस्‍थान राज्‍य बी‍ज निगम लिमिटेड एवं राजस्‍थान राज्‍य तिलहन उत्‍पादक सहकारी संघ लिमिटेड के पास छोटे अनाजों जैसे रागी, कंगनी, सावां, चीना, कोदो, कुटकी का उन्‍नत बीज उपलब्‍ध नहीं है।

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