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गोडावण संरक्षण के लिए सोरसन ब्रम्हाणी अभयारण्य विकास समिति की बैठक शीघ्र आयोजित करवाई जाएगी – वन मंत्री
जयपुर, 31 जनवरी।वन मंत्री हेमाराम चौधरी ने मंगलवार को विधानसभा में बताया कि बारां जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित सोरसन ब्रम्हाणी अभयारण्य समिति की बैठक शीघ्र करने के लिए निर्देशित किया जाएगा, जिससे राज्य में गोडावण संरक्षण के लिए आगे की कार्यवाही की जा सके।
चौधरी ने प्रश्नकाल में इस संबंध में विधायकों द्वारा पूछे गए पूरक प्रश्नों के जवाब में बताया कि सोरसन वन क्षेत्र में गोडावण संरक्षण के लिए प्रजनन केन्द्र स्थापित करने के लिए केन्द्रीय पर्यावरण एवं जलवायु विभाग, वन्य जीव संस्थान तथा राज्य सरकार द्वारा त्रिपक्षीय करार 30 मई 2018 को किया गया था। इस करार के तहत रामदेवरा तथा सोरसन में कृत्रिम गर्भाधान भारतीय वन्यजीव संस्थान के द्वारा करवाया जाना था। उन्होंने बताया कि जैसलमेर के रामदेवरा में कृत्रिम प्रजनन केन्द्र स्थापित किया जा चुका है, जहां गोडावण का पालन-पोषण किया जा रहा है।
वन मंत्री ने बताया कि सोरसन में कृत्रिम प्रजनन केन्द्र स्थापित करने के लिए प्रधान मुख्य वन सरंक्षक, वन विभाग द्वारा भारतीय वन्य जीव संस्थान को 7 अक्टूबर 2022 तथा 17 नवंबर 2022 को पत्र लिखा गया।भारतीय वन्य जीव संस्थान द्वारा इस संबंध में डीपीआर तैयार करवा ली गई, लेकिन कोरोना के कारण भौतिक रूप से कार्य नहीं हुआ। उन्होंने आश्वस्त किया कि राज्य सरकार द्वारा भारतीय वन्य जीव संस्थान, देहरादून को दुबारा पत्र लिखा जाएगा, जिससे गोडावण के प्रजनन केन्द्र की प्रकिया शुरू की जा सके।
चौधरी ने बताया कि वन्य जीवों के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए बारां जिले में सोरसन अभयारण्य विकास समिति का गठन 13 मार्च 1992 को किया गया, जिसके अध्यक्ष कलक्टर तथा सदस्य सचिव उप वन संरक्षक है। उन्हाेंने बताया कि इस समिति की 28 मई 2018 तथा 30 अक्टूबर 2019 को बैठक आयोजित की गई थी, उसके बाद कोई बैठक नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि कलक्टर को दुबारा इस विकास समिति की बैठक आयोजित करने के लिए निर्देशित किया जाएगा।
इससे पहले विधायक रामनारायण मीणा के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में वन मंत्री ने बताया कि वर्ष 1992 में सोरसन ब्रम्हाणी अभयारण्य विकास समिति (जिला बारां) का गठन किया गया था, जो राजस्थान संस्था रजिस्ट्रीकरण अधिनियम 1958 के तहत 13 मार्च 1992 से पंजीकृत है। उन्होंने बताया कि इस संस्था के वर्तमान कार्यकलाप क्षेत्र में उपस्थित वन्य जीवों के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए प्राकृतिक भोजन व पानी की सुविधा सुलभ कराना है। उन्होंने बताया कि इसके लिए संस्था द्वारा क्षेत्र में जल संरक्षण गतिविधियाँ एवं पिंच पीरियड में बाहर से पानी व भोजन उपलब्ध कराना आदि कार्यकलाप किये जाते हैं।
चौधरी ने बताया कि 1990 में सोरसन क्षेत्र में गोडावण की संख्या वन्य जीव गणना अनुसार 24 थी, जो वर्ष 1993 में 11 तथा 1998 में एक रह गई। गोडावण की संख्या अथवा प्रजनन तथा विचरण में कमी चम्बल फर्टीलाइजर्स कम्पनी लिमिटेड की स्थापना के कारण हुई है, इसका कोई वैज्ञानिक अध्ययन उपलब्ध नहीं है।