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राज्य सरकार भिक्षावृति पर अंकुश लगाने के लिए प्रयासरत, जनजागरण अभियान चलाया जायेगा – सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री

जयपुर, (22 जुलाई 2024)। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री अविनाश गहलोत ने सोमवार को विधानसभा में कहा कि भिक्षावृत्ति एक गंभीर समस्या है राज्य सरकार भिक्षावृति पर अंकुश लगाने के लिए प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि इसके लिए विभिन्न गैर सरकारी संगठनों और संस्थाओं की सहायता से जनजागरण अभियान चलाया जायेगा, जिसमें जनप्रतिनिधियों से प्राप्त सुझावों को भी शामिल किया जायेगा।

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री प्रश्नकाल के दौरान सदस्यों द्वारा इस संबंध में पूछे गए पूरक प्रश्नों का जवाब दे रहे थे। उन्होंने सदन को बताया कि राजस्थान भिखारियों या निर्धन व्यक्तियो का पुनर्वास अधिनियम, 2012 में भिक्षावृति पर कोई दंडात्मक प्रावधान नहीं है. लेकिन किशोर न्याय अधिनियम के तहत भिक्षावृति का सिंडिकेट चलाने पर 5 से 10 साल तक की सजा का प्रावधान है।

गहलोत ने कहा कि सार्वजनिक स्थानों, धार्मिक स्थानों, स्टेशनों और चौराहों आदि पर भिक्षावृत्ति एक गंभीर समस्या है। गत 2 वर्षों में भिक्षावृति में लिप्त बालकों की प्रभावी रोकथाम, देखरेख, संरक्षण एवं पुनर्वास हेतु प्रत्येक जिला स्तर पर जिला मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता त्रेमासिक 217 बैठकों का आयोजन किया गया है। उन्होंने बताया कि इनके पुनर्वास के लिए जयपुर में 100 बालकों की क्षमता के 3 पुनर्वास केंद्र संचालित है तथा इन बालकों के रेस्क्यू का काम भी सरकार द्वारा किया जाता है।

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री ने बताया कि भिक्षावृति में लिप्त भिखारियों और किन्नरों के पुनर्वास के लिए केंद्र सरकार द्वारा संचालित ऑपरेशन स्माइल में सिटी पैलेस जयपुर, उदयपुर और जैसलमेर क्षेत्र को चिन्हित किया गया है।

इस मामले पर विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि भिक्षावृति के सिंडिकेट चलाने वाले व्यक्तियों पर कठोर कार्रवाई की जाना सुनिश्चित करें।

इससे पहले विधायक चन्द्रभान सिंह चौहान के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री ने कहा कि भिखारियों या निर्धन व्यक्तियों के पुनर्वास हेतु राज्य मे राजस्थान भिखारियों या निर्धन व्यक्तियों का पुनर्वास अधिनियम, 2012 अधिनियमित है। उन्होंने बताया कि राज्य में बालकों से भिक्षावृति करवाने पर नियंत्रण एव निगरानी हेतु किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम, 2015, किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम, 2000 लागू है तथा अन्य पर भारतीय न्याय संहिता 2023 (धारा 139) के तहत प्रकरण दर्ज कर कानूनी कार्यवाही का प्रावधान है।
उन्होंने बताया कि समय-समय पर पुलिस विभाग, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग, बाल अधिकारिता विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग, बाल कल्याण समिति एवं विभिन्न एनजीओ के माध्यम से समन्वय स्थापित कर भिक्षावृति पर नियन्त्रण व निगरानी हेतु अभियान चलाये जाते हैं।

गहलोत ने बताया कि राज्य में विभिन्न स्थानों पर भिक्षावृत्ति के प्रकरण पुलिस के संज्ञान में आने पर पुलिस द्वारा प्रदेश के विभिन्न थानों में कुल 20 प्रकरण दर्ज किए गए जिनमें से 3 प्रकरण जयपुर शहर मे दर्ज किये गये एवं इनमें से 19 में चालान पेश किया गया। उन्होंने इन प्रकरणों का विवरण सदन के पटल पर रखा। उन्होंने बताया कि प्रदेश में भिक्षावृति पर नियंत्रण एवं निगरानी हेतु पुलिस विभाग द्वारा विशेष अभियान उमंग चलाया जा रहा है। पुलिस द्वारा प्रदेश मे भिक्षावृति पर नियमित निगरानी एवं गश्त जारी है।

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