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सरपंच नेतृत्व कार्यशालाः महिला सरपंचों ने अपने काम के अनुभवों को किया साझा
अपने काम की बदौलत अपनी छाप छोड़ने के लिए है संकल्पबद्ध
जयपुर। कोरोना संकट से निपटने के लिए महिला जनप्रतिनिधियों ने अपनी भूमिका का बेहतरीन निर्वाह किया है। जनवरी 2020 में ये महिलाएं अपनी-अपनी ग्राम पंचायतों में सरपंच चुन कर आईं। सरपंच बनते ही इनके सामने सबसे बड़ी चुनौती थी वैश्विक महामारी कोरोना से निपटने की। कैसे होगी कोरोना से सुरक्षा और कैसे होंगे पंचायत में विकास के कार्य। मुश्किल भरे इस दौर में इन महिला जनप्रतिनिधियों ने हौसला दिखाया। कोरोना से निपटने के साथ-साथ आर्थिक और मानव विकास के कई कार्य इन महिला जनप्रतिनिधियों ने बखूबी किए। स्वच्छता से लेकर मिशन कायाकल्प व अन्य विकास से जुड़े उत्कृष्ट कार्य किए। कोरोना संक्रमण के बचाव के लिए ग्राम पंचायतों में साफ-सफाई, सैनिटाइजेशन के कार्य किए। सामुदायिक शौचालय का निर्माण व संचालन सुनिश्चित करना, पानी निकासी की व्यवस्था सुनिश्चित करना, लॉकडाउन के दौरान ग्राम पंचायतों में महिलाओं को सिलाई प्रशिक्षण से जोड़कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने जैसे कई महत्वपूर्ण कार्य किए। अपने इन्हीं अनुभवों को साझा करने के लिए ये महिला सरपंच राजधानी जयपुर में 3 दिन के लिए एकत्रित हुई हैं।
द हंगर प्रोजेक्ट की ओर से जयपुर में हो रहे सरपंच नेतृत्व कार्यशाला में राजस्थान के 5 जिलों बारां के शाहाबाद ब्लॉक, टोंक के निवाई, जयपुर के कोटखावदा, सिरोही के पिंडवाड़ा और भीलवाड़ा के सहाड़ा ब्लॉक की 23 महिला सरपंच भाग ले रही हैं। 3 दिवसीय इस नेतृत्व कार्यशाला की शुरुआत 23 नवंबर को हुई। इस नेतृत्व कार्यशाला के माध्यम से ये महिला सरपंच अपने पिछले 2 सालों में किए गए विकास संबंधी कार्यों का स्वयं मूल्यांकन कर रही हैं। साथ ही अपने कार्यकाल के शेष बचे 3 साल में किए जाने वाले कार्यों की रणनीति भी बना रही है। राजस्थान पंचायतीराज अधिनियम में दिए गए अपने कानूनी अधिकारों की समझ बना रही है। साथ ही एक दूसरे को विकास संबंधी कार्य करने का हौसला भी दे रही है।
द हंगर प्रोजेक्ट के राज्य प्रभारी विरेंद्र श्रीमाली ने बताया कि द हंगर प्रोजेक्ट राजस्थान में महिला जनप्रतिनिधियों के सशक्तिकरण हेतु 20 वर्षों से कार्यरत है। इस नेतृत्व कार्यशाला का उद्देश्य सरपंचों के नेतृत्व को मजबूती प्रदान करना ताकि वे अपने शेष बचे 3 साल के कार्यकाल का अपनी कुशल नेतृत्व कार्यक्षमता से सदुपयोग कर सकें। वे छाप छोड़ने वाले/विरासत विकास कार्य करने के लिए प्रेरित हो सके। और अपनी पंचायत की दूरदृष्टि को छाप छोड़ने वाले कार्यों के साथ अपडेट करके उसे पाने के लिए आगे बढे। वे अपने पद की शक्तियों का पूरा उपयोग कर छाप छोड़ने वाले कार्य पूरे कर सके। कार्यकाल पूरा होने के बाद भी अपनी पंचायत के विकास कार्यों में बिना पद के भी सक्रिय भागीदारी करने के लिए तैयार रहें।
हमारा काम ही हमारी पहचानः-ये महिला जनप्रतिनिधि अपनी-अपनी ग्राम पंचायतों में अपने काम के माध्यम से छाप छोड़ रही है। कोरोना महामारी से निपटने के साथ ही इन महिला जनप्रतिनिधियों ने अपने पिछले 2 साल के कार्यकाल में अपनी-अपनी ग्राम पंचायतों में आर्थिक एवं आधारभूत ढांचागत विकास के कार्य जैसे कुआं खुदवाना, पट्टा वितरण, प्रवासी मजदूरों को नरेगा में रोजगार उपलब्ध करवाना, पानी की टंकी का निर्माण, सी. सी. रोड निर्माण, आदर्श शौचालय निर्माण, नाडी निर्माण जैसे कार्य किए। किसी ने अपनी पंचायतों के सार्वजनिक जगहों पर सीसी टीवी कैमरा लगवाएं तो किसी ने 600 परिवारों को नरेगा से जोड़ा। स्वयं सहायता समूह के माध्यम से रोजगार प्रदान करने के क्रम में आर्थिक विकास के कार्य किए। विद्यालय क्रमोन्नत, बालिका शिक्षा को प्रोत्साहन, सरकारी योजनाओं का लोगों को लाभ दिलवाना, महिला हिंसा की रोकथाम, आंगनबाड़ी केंद्रों का निर्माण व सरकारी भवन में संचालन में उन्हें चलाना जैसे कार्य भी किए। ये महिलाएं अपनी-अपनी ग्राम पंचायतों में सामाजिक कुरोतियों का मुकाबला कर रही हैं। सामाजिक रूढ़ीवादी परम्पराओं को खत्म करने का सपना बुन रही है। चाहती है कि उनकी पंचायतों में बाल विवाह पूरी तरह से खत्म हो।
स्वयं कर रही अपने कार्यों का मूल्यांकनः- नेतृत्व कार्यशाला में आई सभी महिला सरपंच अपने द्वारा किए गए कार्यों का स्वयं ही मूल्यांकन कर रही हैं। जो काम अब तक किए उसका बड़ा जोर-शोर से बखान कर रही है, और जो नहीं कर पाई उसे पूरी ईमानदारी से स्वीकार भी कर रही है। ग्राम पंचायत महादेवपुरा की सरपंच का रेणु बैरवा ने बताया कि वह अपने 2 साल के कार्यकाल में अभी तक 50 प्रतिशत कार्य पूरे करने में सफल हो पाई है। बारां जिले की शाहाबाद ग्राम पंचायत की सरपंच लीला देवी ने बताया कि उन्हें इस बात की खुशी है कि वे अपनी ग्राम पंचायत में अब तक 40 प्रतिशत कार्य कर पाई है। टोंक जिले के निवाई ब्लॉक की ग्राम पंचायत लुमारा की सरपंच बिंदु कंवर ने बताया कि उन्होंने अपनी पंचायत में जितने वादे आमजन से किए थे उनमें से आधे काम वह अब तक कर पाई है। कार्यशाला में शामिल 22 प्रतिशत महिला सरपंचों ने बताया कि उन्होंने 30 प्रतिशत लक्ष्य हासिल किया जबकि 30 प्रतिशत सरपंचों ने 40 प्रतिशत से अधिक कार्य करवाने में सफलता हासिल की है। 30 प्रतिशत सरपंचों ने पिछले 2 साल में 50 प्रतिशत कार्य पूर्ण करने में अपना योगदान दिया जबकि 18 प्रतिशत सरपंचों ने 60 प्रतिशत से अधिक आधारभूत एवं मानव विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने में सफल हुई। जिन ग्राम पंचायतों में 30 से 40 प्रतिशत तक काम ही कर पाने में सफल हुई है क्योंकि हमारी पंचायतों में बजट समय पर नहीं आना चुनौती बनी रही।
सभी को साथ लेकर चलने की है सोच :- कोटखावदा तहसील की ग्राम पंचायत देहलाला की सरपंच मनीषा देवी शर्मा ने अपने 2 साल के कार्यशाला में वंचित व पात्र परिवारों को सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से जोड़ रही है। मॉडल प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र का निर्माण करवाकर बेड व ऑक्सीजन सिलेण्डर की व्यवस्था करवाई। लोगों को जागरूक कर टीकाकरण करवाने में मदद की है, चिरंजीवी योजना के प्रति लोगों को जागरूक कर 545 परिवारों का आवेदन करवाए हैं। इनके द्वारा पंचायत विकास के अनेक काम करवाए जा रहे हैं। घर-घर नल कनेक्शन, सार्वजनिक शौचालय का निर्माण, आपदा को ध्यान में रखते हुए सार्वजनिक सुखे खुले कुओं को बंद करवाया, पंचायत के लोगों को नरेगा कार्य से जोड़कर रोजगार दिलवाया, सामाजिक सुरक्षा योजना के तहत वृद्धावस्था पेंशन 35, विधवा पेंशन 7, दिव्यांग 4, पालनहार योजना से 6 बच्चों का नाम जुड़वाया। ग्राम पंचायत के सार्वजनिक स्थानों व स्कूलों मे पौधारोपण करवाए।
भावी रणनीति में करेंगी विचारः-
कार्यशाला के तीसरे दिन महिला जनप्रतिनिधि अपनी भावी नेतृत्व को लेकर आगामी रणनीति की योजना बनाएगी। समुदाय स्तर पर लोगों को स्थाई समितियों, ग्राम सभाओं में साथ लेकर काम करने की रणनीति पर विचार करेंगी। कैसे ग्राम पंचायत के सदस्यों और कार्मिकों के साथ समंवयक व सहभागिकता बन सकें, इस पर चर्चा की जाएगी।