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चूरू, । विधानभा आम चुनाव -2023 के लिए कार्यक्रम की घोषणा होने के साथ ही आदर्श आचार संहिता प्रभाव में आ गई है। भारत निर्वाचन आयोग, नई दिल्ली एवं निर्वाचन आयोग राजस्थान जयपुर के निर्देशानंसार इस दौरान पैम्फलेटों, पोस्टर इत्यादि के मुद्रण पर नियंत्रण रहेगा।
जिला निर्वाचन अधिकारी (कलक्टर) सिद्धार्थ सिहाग ने बताया कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 127 क के प्रावधानों के अनुसार कोई भी ऎसा चुनाव दस्तावेज यदि मुद्रित प्रकाशित हो, जिनमें धारा 127 क की अपेक्षानुसार मुख पृष्ठ पर मुद्रक या प्रकाशक का नाम व पता नहीं छपा हो, मुद्रक ने प्रकाशकों से अपेक्षित घोषणा प्राप्त नहीं की हो, आयोग द्वारा निर्धारित प्रोफार्मा में घोषणा या सूचना या मुद्रित दस्तावेजों की प्रतियां प्रेषित नहीं की हो, तो सम्बन्धित दोषी व्यक्तियों के विरूद्ध कानूनी कार्यवाही की जाएगी।
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 127 क के प्रावधानों के अनुसार कोई भी व्यक्ति किसी ऎसे निर्वाचन पैम्फलेट या पोस्टरों को प्रकाशित या मुद्रित नहीं करेगा या मुद्रित या प्रकाशित नहीं करायेगा, जिसके मुख पर उसके मुद्रक और प्रकाशक का नाम और पता न दिया हो। कोई भी व्यक्ति किसी निर्वाचक पैम्फलेट या पोस्टर का मुद्रण तब तक नहीं करेगा या करवायेगा जब तक कि उसके प्रकाशक के पहचान की घोषणा उसके द्वारा हस्ताक्षरित और व्यक्तिगत रूप से जानकार दो व्यक्तियों द्वारा सत्यापित कर दो प्रतियों में उसके द्वारा मुद्रक को नहीं दे दी जाती और जब तक कि दस्तावेज के मुद्रण के पश्चात् युक्ति संगत समय के भीतर घोषणा की एक प्रति दस्तावेज की एक प्रति के साथ, मुद्रक द्वारा मुद्रण स्थान के राज्य की राजधानी के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को और किसी अन्य मामले में मुद्रण स्थान के जिले के जिला मजिस्ट्रेट को न भेज दिया जाये।
इसी क्रम में इस धारा के प्रयोजनों के लिये किसी दस्तावेज की प्रतियों की संख्या को बढ़ाने के लिये हाथ द्वारा नकल करने को छोड़कर कोई भी प्रक्रिया को मुद्रक समझा जायेगा और मुद्रक पद का तद्नुसार अर्थ लगाया जायेगा। निर्वाचन पैम्फलेट या पोस्टर का तात्पर्य किसी मुद्रित पैम्फलेट हैंड बिल या अन्य दस्तावेज से है, जो किसी अभ्यर्थी या अभ्यर्थियों के समूह के निर्वाचन को प्रोत्साहित करने या पक्षपात/ प्रतिकूल करने के लिये वितरित किया जाये या किसी इश्तहार या पोस्टर से है, जिसमें किसी निर्वाचन का कोई संदर्भ हो। किन्तु उसमें ऎसा कोई हैंडबिल, इश्तहार या पोस्टर सम्मिलित न होगा, जिसमें कि किसी निर्वाचन सभा की तिथि, समय, स्थान और अन्य का विवरण या निर्वाचन अभिकर्ताओं या कार्यकर्ताओं को सामान्य अनुदेश घोषित किये गये हों। कोई व्यक्ति प्रावधानों का उल्लंघन करता है तो कारावास से जिसको 6 माह तक बढ़ाया जा सकता है या जुर्माने से, जिसे दो हजार रूपये तक बढ़ाया जा सकता है या दोनों सहित दण्डनीय होगा। प्रावधानों के दृष्टिगत निर्वाचन से संबंधित दस्तावेजों के प्रकाशकों और मुद्रकों की पहचान स्थापित किया जाना आवश्यक है, ताकि ऎसे दस्तावेजों में यदि कोई विधि विरुद्ध अथवा क्षतिकारक, आपत्तिजनक विषयवस्तु जैसे कि धर्म, प्रजाति, जाति, समुदाय या भाषा के आधार पर अपील या किसी विपक्षी इत्यादि के चरित्र हनन की सामग्री है, तो संबंधित व्यक्तियों के विरुद्ध आवश्यक दण्डात्मक या निरोधात्मक कार्यवाही की जा सके। इसके अतिरिक्त ऎसे मुद्रकों और प्रकाशकों की पहचान स्पष्ट होने पर राजनैतिक दलों, अभ्यर्थियों या उनके समर्थकों द्वारा निर्वाचन पम्पलेटों, पोस्टरों आदि के मुद्रण और प्रकाशन पर यदि अनाधिकृत चुनाव खर्च किया जाता है तो उनके सम्बन्ध में भी संबंधित व्यक्तियों के विरूद्ध दण्डात्मक, निरोधात्मक कार्यवाही करने तथा चुनाव व्यय में शामिल किए जाने में सक्षम अधिकारियों को सहायता मिलेगी।