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जयपुर, 14 जुलाई। राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु ने राजस्थान विधानसभा के सभी सदस्यों एवं जनप्रतिनिधियों का आह्वान किया है कि प्रदेश की सात करोड़ जनता ने जिस विश्वास, प्यार और आकांक्षाओं के साथ उन्हें सदन में चुनकर भेजा है, वे उस पर खरा उतरें। उन्होंने कहा कि जनप्रतिधि ‘मैं और मेरा’ की भावना से ऊपर उठकर ‘मेरा देश, मेरी जनता’ की सोच के साथ जन कल्याण के अपने दायित्वों का पूर्ण निष्ठा से निर्वहन करें, तभी प्रदेश और समाज प्रगति की दिशा में और अधिक तेजी से आगे बढ़ेगा।
मुर्मु शुक्रवार को राज्य विधानसभा के पुनः आरम्भ हो रहे आठवें सत्र में विशेष उद्बोधन दे रही थीं। उन्होंने उपस्थित विधायकगणों से कहा कि आपमें से कई विधायक ऐसे हैं, जिन पर जनता ने विश्वास व्यक्त कर कई बार सदन में चुनकर भेजा है। ऐसे में जनप्रतिनिधि के रूप में सर्वोच्च दायित्व है कि आपका चाल-चलन और आचार-व्यवहार जनता में इस विश्वास को और अधिक मजबूती देने वाला हो। उन्होंने कहा कि राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री श्री मोहन लाल सुखाड़िया और भैरोसिंह शेखावत जैसे जन सेवकों ने जनप्रतिनिधि के रूप में जो संवैधानिक आदर्श प्रस्तुत किये हैं, उन्हें ध्यान में रखते हुए विधायक समावेशी विकास और जन-हित में काम करने की इस समृद्ध परंपरा को आगे बढ़ाएं। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधियों की जिम्मेदारी है कि वे सदन में स्वस्थ चर्चाओं के माध्यम से जनता की वर्तमान आवश्यकताओं के अनुरूप नियमों और कानूनों का निर्माण करें। उन्होंने सभी विधायकों से न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुत्व जैसे उच्च संवैधानिक आदर्शों की पालना का आह्वान किया। उन्होंने सदस्यों से कहा कि कई बार हम एक-दूसरे पर आरोप लगाते हैं कि आपने कुछ नहीं किया, लेकिन मैं यह कहना चाहूंगी कि सभी सदस्यों को आत्मावलोकन करना चाहिये कि मैंने जनता के लिए क्या किया।
राष्ट्रपति ने राजस्थान को विविधताओं का सुंदर प्रतिरूप बताते हुए यहां की समृद्धशाली परम्पराओं, सभ्यता, संस्कृति, गौरवशाली इतिहास और अनूठी लोक कला, हस्तकला और स्थापत्य कला का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि राजस्थान मान-सम्मान और बलिदान की धरती है। उन्होंने महाराणा प्रताप, राणा सांगा, दूधा भील, राणा पूंजा भील, मीरा बाई, पृथ्वीराज चौहान, मोती लाल तेजावत, कालीबाई, गोविन्द गुरू, चन्दबरदाई, महाकवि माघ जैसे महापुरुषों को भी याद किया। उन्होंने कहा कि यह गौरव की बात है कि वर्तमान उपराष्ट्रपति तथा लोकसभा अध्यक्ष भी राजस्थान विधानसभा के सदस्य रहे हैं। श्रीमती मुर्मु ने राजस्थान की अतिथि सत्कार की परम्परा की मुक्त कंठ से सराहना करते हुए कहा कि ‘पधारो म्हारे देश’ में अभिव्यक्त भावना को यहां के लोगों ने अपने व्यवहार में ढाला है, इसीलिये देश- विदेश के लोग यहां बार-बार आना चाहते हैं। उन्होंने राजस्थान के लोगों की उद्यमशीलता और पुरुषार्थ की भी सराहना की।
सदन की मर्यादा को कायम रखते हुए लोकतंत्र के सशक्तीकरण के लिए प्रभावी रूप में काम करें- राज्यपाल
राज्यपाल कलराज मिश्र ने अपने उद्बोधन में विधायकों से सदन की मर्यादा को कायम रखते हुए लोकतंत्र के सशक्तीकरण के लिए कार्य करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि विधायिका यदि प्रभावी रूप में कार्य करती है तो उसका सीधा असर कार्यपालिका पर भी पड़ता है। इससे जनहित से जुड़े मुद्दों, विकास कार्यों और जन—कल्याणकारी योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जा सकता है।
राज्यपाल ने कहा कि लोकतांत्रिक मूल्यों में आस्था हमारी परंपरा रही है। संसदीय लोकतंत्र के लम्बे अनुभव के आधार पर हम कह सकते हैं कि लोकतंत्र की वास्तविक शक्ति जनता में ही निहित है। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक संस्थाओं में बैठे प्रतिनिधियों का यह कर्तव्य है कि जन विश्वास पर खरा उतरते हुए उनके सर्वांगीण विकास के लिए काम करें।
राज्यपाल मिश्र ने विधायी दायित्वों की चर्चा करते हुए कहा कि संविधान में लोकसभा, राज्यसभा और विधानमंडलों के अंतर्गत चुने हुए प्रतिनिधियों को अनेक अधिकार और विशेषाधिकार दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि सदस्य प्रयास करें कि सदन निरर्थक बहस और आरोप—प्रत्यारोप लगाने का स्थान नहीं बने। सदस्य सदन में अपने अधिकारों और विशेषाधिकारों का उपयोग करते हुए जन—कल्याण से जुड़े मुद्दों को सार्थक रूप से उठाने का कार्य करें। उन्होंने यह भी कहा कि लोकतंत्र की मजबूती के लिए सदन की बैठकें समय पर आहूत होनी चाहिए।
सामाजिक विषमता कम करने की चुनौती को स्वीकार करें- विधानसभा अध्यक्ष
इससे पहले स्वागत उद्बोधन में विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सी.पी. जोशी ने कहा कि यह भारतीय लोकतंत्र की ही विशेषता है कि एक साधारण परिवार का व्यक्ति देश के सर्वोच्च पद पर पहुंच सकता है। उन्होंने राज्य विधानसभा में पहली बार राष्ट्रपति के आगमन को ऐतिहासिक बताते हुए द्रौपदी मुर्मु का स्वागत किया। उन्होंने आजादी के बाद संसदीय लोकतंत्र के माध्यम से देश और राज्य में हुए विकास की चर्चा करते हुए कहा कि लोकतंत्र जनता को समता और न्याय के लिए कार्य करने को प्रेरित करता है। उन्होंने सामाजिक एवं आर्थिक विकास के लिए सभी को मिलकर कार्य करने का भी आह्वान किया।
डॉ. जोशी ने कहा कि संविधान में संसदीय लोकतंत्र के माध्यम से सरकार को कानून बनाने का अधिकार दिया गया है। सदन में ऐसे कानून बनाए जाने चाहिए जो देश और प्रदेश को आगे बढ़ाने का कार्य करें। उन्होंने कहा कि इस सदन के सदस्यों ने संसदीय लोकतंत्र को मजबूत करते हुए राजस्थान के नव निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आजादी के बाद 75 वर्षों में देश में राजनीतिक न्याय तो सुनिश्चित हुआ है, लेकिन आर्थिक और सामाजिक स्तर पर अब भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। उन्होंने इन चुनौतियों को स्वीकार करते हुए सामाजिक विषमता कम करने और सौहार्द बढ़ाने के लिए साथ मिलकर कार्य करने पर बल दिया।
आरम्भ में राज्यपाल मिश्र ने राष्ट्रपति मुर्मु को हरियाली और खुशहाली के प्रतीक के रूप में पौधा और विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सी.पी. जोशी ने स्मृति चिन्ह भेंट किया। कार्यक्रम का संचालन विधानसभा के प्रमुख सचिव महावीर प्रसाद शर्मा ने किया।
विधानसभा में आयोजित इस विशेष कार्यक्रम में राज्यमंत्रिपरिषद् के सदस्य, सांसद, विधायक, पूर्व विधायक एवं गणमान्य जन उपस्थित रहे।