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चिड़ावा में आयोजित हुआ विशाल कृषि मेला, 5 हजार से अधिक किसानों ने लिया भाग
कृषि के साथ उद्यानिकी के प्रोत्साहन से किसानों की आय कई गुणा बढी - डालमिया
चिड़ावा (3 मार्च 2025)। रामकृष्ण जयदयाल डालमिया सेवा संस्थान द्वारा डालमिया खेलकूद परिसर में एक दिवसीय विशाल कृषि मेले का आयोजन हुआ जिसमें किसानों को नवीन कृषि क्रियाओं, अनुसंधानों, तकनीकों की जानकारी कृषि विशेषज्ञों द्वारा दी गयी और उन्नत बीज, प्राकृतिक व जैविक खेती, खेती में काम आने वाली आधुनिक मशीनों सहित अन्य कृषि आधारित उपकरणों की स्टाॅले लगायी गयी। इस मेले मेें करीब 5 हजार किसानों ने शिरकत कर जानकारी प्राप्त की। मेले में फसल प्रतियोगिता एंव परम्परागत खेल प्रतियोगिताओं पर भी आयोजन हुआ जिसके सफल प्रतिभागियों को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया।
कृषि विभाग, कृषि विज्ञान केंद्र आबूसर, पर्यावरण विकास एंव अध्ययन केंद्र जयपुर के सहयोग से आयोजित इस किसान मेले में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए पदम्श्री पुरस्कार प्राप्तकर्ता भारत भूषण त्यागी ने कहा कि हरित क्रांति के बाद देश में कृषि उत्पादन में वृद्धि हुई किन्तु किसानों की आमदनी नही बढ सकी। यहीं स्थिति वर्तमान समय में है जब किसान का पूरा परिवार खेती क्यारी में जुटा रहता है लेकिन कृषि की लागत भी नही निकल पा रही जिसका सबसे बड़ा कारण है कि किसानों को कृषि आदान के लिए बाजार पर निर्भर रहना पड़ता है वहीं दूसरी ओर निरंतर भूजल के दोहन, बदलती पर्यावरणीय स्थितिया भी किसानों की आमदनी को न्यूनतम स्तर पर ले जा रही है जिससे बचने के लिए जरूरी है कि किसानों को समन्वित कृषि प्रणाली अपनानी होगी। उन्होनें किसान महिलाओं से आग्रह किया कि वे खेती के साथ-साथ खाद्य प्रसंस्करण का कार्य भी करें इस कार्य से उनकी आमदनी कई गुणा बढ सकती है। उन्होनें किसानों को सलाह दी कि वे जैविक उत्पादों का प्रमाणीकरण अवश्य करावें ताकि उन्हें अपने उत्पादों का बाजार में सही मूल्य मिल सके।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डालमिया सेवा संस्थान के ट्रस्टी एंव प्रवासी उद्योगपति रघुहरि डालमिया ने कहा कि विकसीत भारत बनाने के लिए हमें उद्योगों के साथ-साथ कृषि उत्पादन बढाने और किसानों को इसका सही मूल्य उपलब्ध कराने की दिशा में कार्य करना होगा। उन्होनें बताया कि वर्षा के दिनों की संख्या निरंतर कम होती जा रही है जिससे भूमिगत जल व जमीन की गुणवत्ता पर विपरिता प्रभाव पड़ रहा है। इसके साथ ही भूजल का निरंतर दुरूपयोग होने के कारण सिचांई के साथ-साथ पेयजल की समस्या भी सामने आने लगी है। इन विषम परिस्थितियों में किसानों को चाहिए कि वे कम पानी वाली फसलों की बुवाई के साथ जल संरक्षण पर भी ध्यान दें। उन्होनें बताया कि जिन किसानों ने कृषि के साथ-साथ उद्यानिकी को अपनाया है उनकी आमदनी कई गुनी बढ गयी है।
समारोह में स्वामी अर्जुनदास जी महाराज ने पेयजल की आध्यात्मिक महत्वता, किसान गोष्ठी में कृषि विभाग की आत्मा परियोजना के उपनिदेशक डाॅ0 शीशराम जाखड़, कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक डाॅ0 राजेन्द्र लाम्बा, कृषि विज्ञान केंद्र आबूसर के कार्यक्रम समन्वयक डाॅ0 दयानन्द ने भी किसानों को कृषि विभाग की विभिन्न योजनाओं, नवीन तकनीकों की विस्तार से जानकारी दी। संस्थान के सलाहकार मनोहर सिंह ने भी अपने विचार व्यक्त किये। प्रारम्भ में संस्थान के परियोजना प्रबंधक भूपेन्द्र पालीवाल ने संस्थान द्वारा करवाये जा रहे कार्यो पर विस्तार से प्रकाश डाला और विश्वास व्यक्त किया कि आगामी वर्षाें में समानता, समृद्धि एंव खुशहाली के लिए अधिक मेहनत से कार्य किया जाए। अन्त में सलाहकार डाॅ0 हनुमान प्रसाद ने सबका आभार व्यक्त किया।
मेले में सम्मानित होने वाले कृषक –
उत्कृष्ट कार्य करने पर ग्राम विकास समिति कुतुबपुरा, प्रगतिशील किसान अनिल, रविन्द्र और संत कुमार, जलयोद्धा का पुरस्कार सुनिल कुमार डूडी और पर्यावरण मित्र का नेतराम को दिया गया। मेले में आयोजित सरसों, जौं, चना, नीबंू, बेलपत्र, आंवला, बेर, किन्नू आदि की फसल प्रतियोगिता के तीन सफल प्रतिभागियों को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। इसके अलावा मेले में लगी स्टाॅलों के तीन आयोजकों को भी पुरस्कार दिया गया। इसके साथ ही ग्रामीण खेल प्रतियोगिता के तहत महिलाओं की रस्साकसी, सेकरेस, पुरूषों की मटका दौड़ के विजेताओं को भी सम्मानित किया गया।