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द्वितीय राष्ट्रीय लोक अदालत 13 जुलाई को, अधीनस्थ न्यायालयों में 512 बेंचों का किया गठन

जोधपुर में 5 और जयपुर पीठ में 4 बैंचों का किया गठन

जयपुर, (11 जुलाई 2024)। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली के निर्देशानुसार राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (रालसा) के सानिध्य में इस वर्ष की दूसरी राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन 13 जुलाई, शनिवार को राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर और जयपुर पीठ सहित प्रदेश के सभी अधीनस्थ न्यायालयों के साथ-साथ राजस्व न्यायालयों, उपभोक्ता मंचों और अन्य प्रशासनिक अधिकरणों में किया जाएगा। राष्ट्रीय लोक अदालत का शुभारंभ राजस्थान उच्च न्यायालय जयपुर पीठ में रालसा के कार्यकारी अध्यक्ष द्वारा राजस्थान हाई कोर्ट की नई बिल्डिंग के परिसर में किया जाएगा। वहीं राजस्थान उच्च न्यायालय की मुख्य पीठ जोधपुर में न्यायाधिपति पुष्पेंद्र सिंह भाटी द्वारा इसका शुभारंभ किया जाएगा।

राष्ट्रीय लोक अदालत के संबंध में राजस्थान हाई कोर्ट, जयपुर परिसर में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए रालसा सदस्य सचिव हरि ओम अत्तरी ने कहा कि जन सामान्य द्वारा अपने प्रकरणों को समझाइश और राजीनामे के माध्यम से निपटाने के लिए राष्ट्रीय लोक अदालत में रखवाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि प्रकरणों की सुनवाई के लिए अधीनस्थ न्यायालयों की कुल 512 बेंचों का गठन किया गया है। ये बेंचें प्रकरणों की ऑनलाइन और ऑफलाइन माध्यमों से सुनवाई करेंगी।

अत्तरी ने बताया कि इन बैंचों में 9 जुलाई तक 5 लाख 72 हजार 905 प्री लिटिगेशन और 4 लाख 70 हजार 376 न्यायालयों में लंबित प्रकरण कुल 10 लाख 43 हजार 278 प्रकरण सुनवाई के लिए रेफर किए जा चुके हैं। इसके बाद भी बड़ी संख्या में प्री लिटिगेशन और लंबित प्रकरण रेफर किए गए हैं।

सदस्य सचिव ने बताया कि राजस्थान उच्च न्यायालय, जोधपुर में 5 बेंचों का गठन कर 2000 लंबित प्रकरण और राजस्थान उच्च न्यायालय, जयपुर पीठ में 4 सेवानिवृत न्यायाधिपतिगण की बैंचों का गठन कर 2,713 लंबित प्रकरण राष्ट्रीय लोक अदालत में रखे गए हैं।
अत्तरी ने बताया कि प्री लिटिगेशन के प्रकरणों में रिटायर्ड न्यायिक अधिकारी और प्री काउंसलर द्वारा 27 मई 2024 से काउंसलिंग करवाई जा रही है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय लोक अदालत के प्रति आमजन और पक्षकारों में काफी उत्साह है। पक्षकार स्वयं आगे बढ़कर अपने मामलों को लोक अदालत में लगवाने के लिए आ रहे हैं। साथ ही अधिवक्तागण भी अपने स्तर पर पक्षकारों को अपने मामले राजीनामे के माध्यम से सुलझाने वाले इस सुलभ माध्यम को अपनाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।

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