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आत्महत्या रोकथाम के लिए सभी स्तरों पर प्रो-एक्टिव प्रयास आवश्यक हैं – अतिरिक्त मुख्य सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य शुभ्रा सिंह
जयपुर, (11 सितम्बर 2023)। आत्महत्या जैसे संवेदनशील मुद्दे को समझना एवं इसकी रोकथाम के लिए परामर्श, उपचार सुलभ कराने के लिए प्रशासनिक प्रयास के साथ ही जनसमुदाय में प्रत्येक स्तर पर प्रो-एक्टिव प्रयास करना बेहद आवश्यक है। आमजन को मानसिक स्वास्थ्य के महत्व के बारे में जानकारी एवं सुलभ परामर्श, उपचार सेवाओं, आदि के बारे में भी जानकारी दी जानी चाहिए।
अतिरिक्त मुख्य सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य शुभ्रा सिंह ने सोमवार को विश्व आत्महत्या एवं रोकथाम दिवस पर स्वास्थ्य भवन से आयोजित बेवीनार में यह बात कही। इस दौरान सुसाईड रोकने एवं टेलीमानस हैल्पलाईन विषय पर मुद्रित पोस्टर का विमोचन भी किया गया। इस दिवस की थीम कर्म के द्वारा आशा जगाना निर्धारित की गयी है। इस वेबीनार से संयुक्त निदेशक, मनोचिकित्सा विभागों के प्रभारी, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, सीएचसी इंचार्ज सहित संबंधित अधिकारीगण जुड़े।
शुभ्रा सिंह ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनियाभर में प्रति वर्ष 7 लाख से अधिक व्यक्तियों की मत्यु सुसाईड के कारण होती है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2021 के दौरान भारत में कुल 1 लाख 64 हजार 33 व्यक्तियों की मृत्यु सुसाईड के कारण हुई है। यानी विश्वभर में लगभग 25 प्रतिशत आत्महत्याएं भारत में होती हैं जो कि लोकस्वास्थ्य की दृष्टि से एक गंभीर चनौती है। इससे निपटने के लिए एक समग्र रूप से कार्ययोजना बनाकर प्रभावी क्रियान्वयन किया जानी चाहिए, ताकि एक सशक्त सपोर्ट सिस्टम तैयार हो सके।
टेलीमानस टोल फ्री हैल्पलाईन है सहयोगी –
अतिरिक्त मुख्य सचिव ने बताया कि टेलीमानस टोल फ्री हैल्पलाईन नं. 14416 या 1800-89-14416 परामर्श एवं उपचार संबंधी लाईनअप के लिए काफी सहयोगी साबित हो रहा है। उन्होंने मन में सुसाईड का विचार आना, डिप्रेशन या अन्य किसी भी मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्या से परामर्श हेतु एक बार इस टोल फ्री हैल्पलाईन पर अवश्य संपर्क करने की अपील की। उन्होंने टेलीमानस हैल्पलाईऩ के बारे में संक्षिप्त जानकारी विद्यार्थियों की बुक्स के अंतिम कवर पेज पर मुद्रित कराने की आवश्यकता पर भी बल दिया।
संवाद बढ़ाएं, खुलकर अपनी बात कहें –
मिशन निदेशक एनएचएम डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी ने बताया कि संवादहीनता ही आत्महत्या के महत्वपूर्ण कारकों में से एक है। उन्होंने कहा कि परिवार में ऐसा माहौल तैयार किया जाना चाहिए, ताकि हरेक व्यक्ति खुलकर अपनी बात कर सके। उन्होंने कर्म के द्वारा आशा जगाने का संकल्प लेकर मानसिक स्वास्थ्य को बेहकर बनाने की दिशा में कार्य करने के लिए प्रेरित किया।
मनो चिकित्सालय के अधीक्षक डॉ. ललित बत्रा ने प्रजेंटेशन के माध्यम से मानसिक सुसाईड स्थितियों जैसे गंभीर डिप्रेशन, करियर, पढ़ाई, रिलेशन संबंधी परेशानियां आदि से बचाव के तरीकों पर विस्तार से जानकारी प्रदान की।
टेलीमानस की सीनियर टीम लीडर डॉ. वंदना ने टेलीमानस हैल्पलाईन एवं इसकी कार्यप्रणाली के बारे में विस्तार से जानकारी दी। राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के राज्य नोडल अधिकारी डॉ. सुनील शर्मा ने वेबीनार का संचालन किया।