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मिशन 2025 टीबी मुक्त भारत की ओर बढ़ाया एक ओर कदम

संक्रमण की चेन तोडऩे के लिए अब टीबी संक्रमितों के क्लोज कॉन्टैक्ट परिजनों को भी दी जाएंगी दवा पीएमटीपीटी प्रोगाम को लेकर जिले के चिकित्सा अधिकारियों को दिया जा रहा है प्रशिक्षण

झुंझुनूं। राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत मिशन-2025 टीबी मुक्त भारत को लेकर आने वाला वर्ष 2022 काफी अहम साबित होगा। जिसको लेकर स्वास्थ्य विभाग ने अपनी तैयारियांं भी शुरू कर दी है। जानकारी के अनुसार स्वास्थ्य विभाग द्वारा आगामी वर्ष के प्रांरभ में ही प्रोग्रामेटिक मैनेजमेंट ऑफ ट्यूबरक्लोसिस प्रिवेंटिव ट्रीटमेंट (पीएमटीपीटी) कार्यक्रम के तहत अब टीबी संक्रमितों के क्लोज कॉन्टैक्ट में रहने वाले परिजनों की भी दवा शुरू की जाएगी। ताकि टीबी संक्रमण की संभावना को पहले ही समाप्त किया जा सके और देश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके।
इस नई उपचार पद्धति के तहत कोई भी व्यक्ति टीबी से संक्रमित रोगी के संपर्क में आ जाए तो वह भी टीबी की चपेट में आ सकता है। इसी चेन को तोडऩे के लिए एंव टीबी संक्रमित के क्लोज कांन्टेक्ट में रहने वालों में टीबी इंफेक्शन की संभावना को सदा के लिए समाप्त करने के लिए यह उपचार पद्धति जनवरी माह से पीएमटीपीटी कार्यक्रम के तहत शुरू की जा रही है। इसी पीएमटीपीटी प्रोगाम को लेकर जिले के सभी चिकित्सा अधिकारियों को प्रशिक्षण देना शुरू किया गया है। जिसके तहत जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्र पर सेवारत चिकित्सा अधिकारियों को प्रशिक्षण के लिए 11 बैच तैयार किये गए है। जिसके प्रथम बैंच का दो दिवसीय प्रशिक्षण गुरूवार को पूर्ण हुआ। प्रशिक्षण में जयपुर से मास्टर ट्रेनर के रूप में शामिल हुए डब्लूएचओ कंसलटेंट डॉ. एसके सिन्हा ने जिला क्षय निवारण केंद्र पर आयोजित इस प्रथम बैंच में शामिल चिकित्सकों को नई पीएमटीपीटी उपचार पद्धति का प्रशिक्षण दिया। जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. विजयसिंह ने बताया कि पीएमटीपीटी प्रोगाम के तहत जिले के सभी चिकित्सकों, नर्सिग स्टॉफ को शीघ्र ही प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके अलावा जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रो पर तैनात नर्सिग स्टॉफ, लैब टेक्नीशिन और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को इस टीबी रोग से संबंधित नई उपचार पद्धति से प्रत्यक्ष रूप से जोड़ा जाएगा।
टीबी से संक्रमण से पहले ही होगा उपचार
पीएमटीपीटी प्रोगाम के तहत अब टीबी संक्रमितों के क्लोज कॉन्टैक्ट में रहने वाले परिजनों की भी दवा शुरू की जाएगी। क्योकि ऐसे परिजनों में टीबी संक्रमण का खतरा ज्यादा रहता है। ये दवा परिजनों को टीबी से बचाएंगी। इस दवा में आईसोनियाजिड और रीफापेंटिन नाम की टेबलेट शामिल है। इस प्रकार आईएनएच टेबलेट छह माह तक संबंधित को हर दिन लेनी होगी। रिफापेंटिन टेबलेट तीन माह तक एक सप्ताह एक बार लेनी होगी। इसके अलावा टीबी संक्रमित परिजनों की जांच सुनिश्चित होगी। परिजनों को ये टेबलेट संक्रमण से पहले ही शुरू कर दी जाएगी। ताकि टीबी का खतरा भविष्य के लिए टल जाए। झुंझुनूं जिले में वर्तमान में 2200 टीबी के मरीज है, इस पर विभाग का मानना है कि इन टीबी के मरीजों के क्लोज कॉन्टैक्ट में करीब 11 हजार से ज्यादा परिजन है। इस प्रकार इन सभी कॉन्टैक्ट संभावित टीबी मरीजों की सूची तैयार कर उन्हें टीबी संक्रमण से बचाने के लिए इस नई उपचार पद्धति के तहत दवा शुरू की जाएगी।

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