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समूचे प्रदेश में सोमवार से एक माह का खान सुरक्षा अभियान शुरू, अधिकारी जाएंगे फील्ड में और पालना कराएंगे सुनिश्चित-खान मंत्री

23 जनवरी से 22 फरवरी तक का एक माह का अभियान - सुरक्षा मानकों की पालना और खनन कार्मिकों के स्वास्थ्य सुरक्षा के प्रति गंभीर

जयपुर, 23 जनवरी। खान एवं गोपालन मंत्री  प्रमोद जैन भाया ने बताया कि राज्य के माइंस विभाग द्वारा सोमवार 23 जनवरी से समूचे प्रदेश में खान सुरक्षा अभियान शुरू हो गया है। उन्होंने बताया कि अभियान के दौरान जोन, वृत, खण्ड, उपखण्ड अधिकारियों के साथ ही विभाग के सतर्कता अधिकारियों द्वारा खनिज खनन/उत्पादन करने वाले कम से कम 15 खनन पट्टों/30 क्वारी लाइसेंस क्षेत्रों का निरीक्षण कर खनन सुरक्षा नियमों व प्रावधानों की पालना सुनिश्चित करवाई जाएगी।
       खान मंत्री  भाया ने बताया कि विभाग के अन्य अधिकारियों को भी कम से कम पांच खनन लाइसेंसधारियों के यहां जाकर निरीक्षण करना होगा। उन्होंने बताया कि विभाग खनन परिसरों में खान सुरक्षा मानकों की शतप्रतिशत पालना सुनिश्चित कराने और खनन कार्मिकों के स्वास्थ्य सुरक्षा के प्रति गंभीर है।
एसीएस माइंस एवं पेट्रोलियम डाॅ. सुबोध अग्रवाल ने बताया कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने चिंतन शिविर के दौरान सुरक्षित खनन, पर्यावरण संरक्षण एवं सिलिकोसिस बीमारी पर चिंता व्यक्त करते हुए रोकथाम की आवश्यकता प्रतिपादित की थी। सुरक्षित खनन के लिए आवश्यक प्रावधानों की पालना सुनिश्चित कराने के लिए कदम उठाने पर जोर दिया था। उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा 23 जनवरी से 22 फरवरी तक चलाये जाने वाला एक माह का अभियान आरंभ कर दिया गया है।
एसीएस डाॅ. अग्रवाल ने बताया कि राजस्थान अप्रधान खनिज रियायत नियमावली, 2017 (आरएमएमसीआर), खान संरक्षण एवं विकास नियमावली, 2017 (एमसीडीआर) और मेटलिफेरस माइंस रेगुलेशन 1961 (एमएमआर) के साथ ही माइंस अधिनियम 1952 की विभिन्न धाराओं में सुरक्षित खनन के संबंध में आवश्यक प्रावधान उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि अभियान के दौरान इन नियमों की पालना सुनिश्चित कराने के साथ ही भविष्य में भी इनकी पालना के निर्देश दिए जाएंगे। उन्होंने बताया कि अभियान के दौरान खनन पट्टा व क्वारी लाइसेंस क्षेत्रों के लिए पर्यावरण विभाग द्वारा जारी कंसेट टू ऑपरेट और एनवायरमेंट क्लीयरेंस में निर्देशित प्रावधानों, पर्यावरण व खनिकों के स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए जारी सुरक्षा प्रावधानों की पालना सुनिश्चित करवाई जाएगी। उन्होंने बताया कि खान अधिनियम के अनुसार खनिक श्रमिकों के हितों को ध्यान में रखते हुए पेयजल व्यवस्था, शौचालय, चिकित्सकीय उपकरण आदि की उपलब्धता होना जरूरी है।
डाॅ. अग्रवाल ने बताया कि राजस्थान अप्रधान खनिज रियायत नियमावली, 2017 में नियमानुसार सुरक्षित एवं वैज्ञानिक विधि से खनिक श्रमिकों के स्वास्थ्य मानकों को ध्यान में रखते हुए खनन गतिविधियां संचालित करने के प्रावधान है। इसके साथ ही पर्यावरण संरक्षण, खनन क्षेत्र की सीमांकन, खनन गतिविधियों के सुपरविजन के लिए क्वालीफाईड व्यक्ति को नियोजित किया जाना आवश्यक है। सुरक्षा मानकों की पालना नहीं करने की स्थिति में खनन गतिविधियों को बंद करवा कर आवश्यक कार्यवाही की जा सकती है।
एसीएस ने बताया कि एमसीडीआर के तहत खनन कार्यों के दौरान वैज्ञानिक विधि से खनिज संरक्षण एवं पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए खनन गतिविधियां संचालित करने का प्रावधान है। अभियान के दौरान इनकी पालना के साथ ही एबेंडोनेड माइंस के पुनर्भरण एवं माइंस क्लोजर प्लान की पालना का निरीक्षण किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इसके साथ ही खानों के ओवरबर्डन या वेस्ट आदि निर्धारित स्थान पर रखने और बेक फिलिंग प्रावधानों की पालना भी देखी जाएगी।
डाॅ. अग्रवाल ने बताया कि एमएमआर, 1961 में ओपन कास्ट माइंस की बेंच, हाईट, विड्थ, साइड के स्लोप एंगल, डीप होल ब्लाॅस्टिंग और भारी मशीनरी के उपयोग के संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश है ताकि खनन कार्य सुरक्षित व वैज्ञानिक तरीके से हो सके।
निदेशक माइंस संदेश नायक ने बताया कि अभियान के दौरान निरीक्षण के समय अधिकारियों द्वारा नियमों, प्रावधानों व सुरक्षा मानकों की उपलब्धता व पालना देखेंगे और आवश्यक निर्देश प्रदान करेंगे ताकि राज्य में नियमानुसार सुरक्षा मानकों और खनन श्रमिकों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए गतिविधियों का संचालन हो सके। अभियान की निदेशालय स्तर पर मोनेटरिंग होगी।
 नायक ने बताया कि माइंस विभाग द्वारा अभियान के संदर्भ में आवश्यक दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं। उन्होेंने बताया कि अतिरिक्त निदेशक खान, पर्यावरण एवं विकास को नोडल अधिकारी बनाया गया है। मुख्यालय स्तर पर प्रति शुक्रवार निर्धारित प्रपत्र में सूचना भिजवानी होगी।

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