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7 उप चुनावों में से कांग्रेस को चार सीटों पर साख बचाना मुश्किल भाजपा का 4 से 6 सीटों पर जीत दर्ज करने का प्रयास
रालोपा व बाप के लिए प्रतिष्ठा बचाना हो गया है कठिन
जयपुर, (राजन चौधरी)। राजस्थान में 13 नवंबर को सात विधानसभा सीटों पर मतदान होगा और परिणाम 23 नवंबर को आएगा। इन सात सीटों में चार सीट कांग्रेस के पास थी, जिसमें झुंझुनूं, दौसा, रामगढ़ व देवली-उनियारा है। वहीं चौरासी सीट बाप के पास, सलुम्बर सीट भाजपा व खींवसर सीट रालोपा के पास थी। जिन पर अब उप चुनाव हो रहे है।
अभी तक के राजनैतिक समीकरणों के अनुसार भाजपा- कांग्रेस को चार सीटों पर कड़ी चुनौती मिल रही है। वहीं एक सीट पर कांग्रेस के बागी देवली-उनियारा से नरेश मीणा कांग्रेस की राह में कड़ी चुनौती पैदा कर दी है। इसके अलावा चौरासी व सलुम्बर में भाजपा को बाप कड़ी चुनौती दे रही है तो चौरासी से बाप के बागी निर्दलीय बदामी लाल ही बाप को कड़ी चुनौती दे रहे है। वहीं खींवसर में रालोपा के हनुमान बेनिवाल का वर्चस्व अब की बार खतरे में दिखाई दे रहा है। यहां कांग्रेस प्रत्याशी खड़ा होने के कारण रालोपा की सीट भाजपा के खाते में जा सकती है।
दौसा विधानसभा सीट पर कांग्रेस के डीडी बैरवा व भाजपा के जगमोहन मीणा में सीधी टक्कर है। भाजपा के कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ीलाल मीणा के भाई के कारण राजनैतिक साख दांव पर लगी है। वहीं कांग्रेस मानकर चल रही है कि दौसा सीट जीत सकती है। माना जा रहा है कि कड़े मुकाबले में भाजपा भी यह सीट अपने पक्ष में निकाल सकती है।
झुंझुनूं विधानसभा क्षेत्र से भाजपा से राजेन्द्र भांबू, कांग्रेस से अमित ओला व निर्दलीय पूर्व मंत्री राजेंद्र गुढ़ा में त्रिकोणिय मुकाबला माना जा रहा है। लेकिन मुख्य मुकाबला कांग्रेस व भाजपा के बीच ही होगा। गुढ़ा के कारण दोनो ही पार्टियों को नुकसान हो रहा है। जब से दोनो ही पार्टियों के प्रत्याशियों ने अपने-अपने वोट बैक से जनसंपर्क तेज किया तो गुढ़ा का वोट बैक का ग्राफ धीरे-धीरे नीचे आना शुरू हो गया है। सट्टा बाजार व सरकारी कर्मचारियों के अनुसार भाजपा अबकी बार कांग्रेस की परम्परागत सीट पर सेंध लगा सकती है।
देवली- उनियारा सीट पर कांग्रेस ने केसी मीणा व भाजपा ने पूर्व विधायक राजेंद्र गुर्जर को मैदान में उतारा है, लेकिन कांग्रेस के बागी नरेश मीणा के निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतरने से चुनाव त्रिकोणिय हो गया है, जो भाजपा के लिए फायदेमंद साबित होता नजर आ रहा है।
इसी प्रकार रामगढ़ (अलवर) सीट से कांग्रेस से विधायक जुबेर खान के निधन पर खाली हुई सीट पर कांग्रेस ने उनके बेटे आर्यन खान को भाजपा से बगावत कर चुनाव लडऩे वाले सुखवंत सिंह भाजपा से मैदान में है ,यहां भाजपा व कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर के कारण यह सीट किसके खाते में जाएगी, यह तो वक्त ही बताएगा।
इसी प्रकार खींवसर विधानसभा क्षेत्र पर गत कई वर्षो से रालोपा का कब्जा रहा है। इस चुनाव में यहां रालोपा का कब्जा रख पाना काफी मुश्किल लग रहा है। रालोपा की कनिका बेनीवाल को भाजपा के रेवंतराम डांगा व कांग्रेस की डॉ. रतन चौधरी कांग्रेस प्रत्याशी होने से भाजपाई जीत के लिए आश्वस्त होती दिखाई दे रहे है। इस त्रिकोणिय संघर्ष में भाजपा रालोपा को कड़ी टक्कर दे रही है।
सलुम्बर सीट पर भाजपा विधायक अमृतलाल के निधन के कारण खाली हुई है। यहां भाजपा ने अमृतलाल मीणा की पत्नी शांता मीणा को प्रत्याशी बनाया है। वहीं कांग्रेस ने प्रधान रेशमा मीणा को मैदान में उतारा है। यहां बाप प्रत्याशी जितेश कुमार कटारा के मैदान में आने से मुकाबला त्रिकोणिय हो गया है। इस सीट पर भाजपा-कांगे्रस दोनो ही पार्टियों को ही बाप चुनौती दे रही है। चौरासी विधानसभा सीट गत चुनावों से बाप पार्टी जीतती जा रही है, लेकिन बाप के आंतरिक झगड़ों के कारण बागी प्रत्याशी भी खड़े होने के कारण यहां अब बाप का अस्तित्व खतरे में है। इसके चलते भाजपा यह सीट निकाल सकती है। भाजपा ने कारीलाल, कांग्रेस से महेश रोत, बाप से अनिल कटारा व बाप के बागी निर्दलीय बदामीलाल भी मैदान में रहने के कारण यहां चतुष्कोणिये मुकाबला हो गया है।
इस प्रकार भाजपा सात में से चार से छ: सीट पर अपनी जीत मान रही है, वहीं कांग्रेस चार सीटों पर कब्जा बनाया रखने के लिए पूरी ताकत के साथ चुनाव प्रचार में जुटी हुई है। कमोवेश बाप व रालोपा की भी यहीं स्थिति है।