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राज्यपाल बागडे ने वरूर में महामस्तकाभिषेक समारोह में भाग लिया

पार्श्वनाथ तीर्थंकर का महामस्तकाभिषेक जीवन का आलोक देने वाला—राज्यपाल

जयपुर, (21 जनवरी 2025)। राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने मंगलवार को कर्नाटक के वरूर में स्थापित भगवान पार्श्वनाथ की अखंड प्रतिमा के महामस्तकाभिषेक समारोह में भाग लिया। इस दौरान उन्होंने देश में तीर्थंकरों की महान परम्परा का उल्लेख करते हुए कहा कि पार्श्वनाथ तीर्थंकर का महामस्तकाभिषेक हमें सत्य और जीवन से जुड़े नैतिक मूल्यों पर चलने की प्रेरणा देने वाला है। उन्होंने कहा कि तीर्थंकरों ने त्याग और अपरिग्रह के सिद्धान्तों के आदर्श स्थापित कर जीवन के उदात्त मूल्यों का प्रसार किया है।
बागडे ने भारतीय संविधान की मूल प्रति में ध्यानस्थ मुद्रा में बैठे हुए वर्धमान महावीर के चित्रांकन की चर्चा करते हुए कहा कि जैन धर्म ‘जिन’ शब्द से जुड़ा है।  इसका अर्थ है, ‘विजेता’। जिन्होंने इच्छाओं एवं मन पर विजय प्राप्त कर ली है, वह महावीर है। उन्होंने वेरूर में भगवान पार्श्वनाथ की अखंड प्रतिमा का अभिषेक किया और वहां स्थापित नवग्रह तीर्थ में तीर्थंकरों की प्रतिमाओं का भी दर्शन किया। उन्होंने कहा कि कर्नाटक के वरूर में आचार्य गुणधरनंदी महाराज जी की दूरदर्शिता और समर्पण से स्थापित पार्श्वनाथ की अखंड प्रतिमा और नवग्रह तीर्थंकर का यह धाम अलौकिक है। उन्होंने आचार्य गुणधरनंदी को दिगंबर जैन परंपरा में अत्यंत सम्मानित आध्यात्मिक गुरु बताते हुए कहा कि वह आध्यात्मिक राह से जीवन के उत्कर्ष के लिए प्रेरणा देने वाले हैं।
राज्यपाल ने अखंड भारतीय संस्कृति और शिक्षा के महत्व पर अपनी बात रखते हुए कहा कि सिकन्दर जब भारत आया तो विश्व विजेता का स्वप्न लिए था। परन्तु यहां उसने अपेक्षा रहित साधु संतों को देखकर कहा था कि भारत आंतरिक ओज से जुड़ा राष्ट्र है। उन्होंने कहा कि सामाजिक परिवर्तन का सशक्त माध्यम शिक्षा ही है। यह व्यक्ति की मानसिक क्षमता को ही नहीं बढ़ाती बल्कि  सही और  गलत का भेद भी बताती है। शिक्षा व्यक्ति के सोचने, व्यवहार करने, दृष्टिकोण और जीवनशैली को भी पूरी तरह से बदल देती है। एक व्यक्ति को बदलना ही समाज को बदलना है।
राज्यपाल के वरूर पहुंचने पर धर्मस्थल के धर्माधिकारी वीरेंद्र हेगड़े जी ने उनकी अगवानी कर स्वागत किया। बागडे ने  धर्मस्थल  के प्रेरणा स्त्रोत गुणधरनंदी महाराज को नमन करते हुए उनका आशीर्वाद भी लिया।

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