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चतुर्थ राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन शनिवार, 09 दिसम्बर को

जयपुर, । वर्ष-2023 की चतुर्थ एवं अंतिम राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन  शनिवार, 09 दिसम्बर को राजस्थान उच्च न्यायालय, जयपुर सहित प्रदेष के सभी अधीनस्थ न्यायालयों के साथ-साथ राजस्व न्यायालयों, उपभोक्ता मंचों एवं अन्य प्रषासनिक अधिकरणों में किया जायेगा।
राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, जयपुर के सदस्य सचिव श्री प्रमिल कुमार माथुर ने बताया कि राजस्थान उच्च न्यायालय, जयपुर पीठ में न्यायाधिपति एम.एम. श्रीवास्तव, कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश, राजस्थान उच्च न्यायालय एवं कार्यकारी अध्यक्ष, राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की अध्यक्षता में न्यायाधिपतिगण एवं राजस्थान उच्च न्यायालय बार एसोसिएषन के गणमान्य सदस्य, रजिस्ट्री, राजस्थान उच्च न्यायालय एवं रालसा के पदाधिकारी, पक्षकारगण एवं कर्मचारियों की मौजूदगी में शनिवार को प्रातः 10.00 बजे राजस्थान उच्च न्यायालय (न्यू बिल्डिंग) के परिसर में राष्ट्रीय लोक अदालत का शुभारंभ कार्यक्रम आयोजित किया जावेगा।
उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय लोक अदालत में न्यायालय में लंबित राजीनामा योग्य फौजदारी प्रकरण, धारा 138 छप् ।बज के प्रकरण, धन वसूली के प्रकरण, एम.ए.सी.टी. के प्रकरण, श्रम एवं नियोजन संबंधी विवाद, भूमि अधिग्रहण से संबंधित प्रकरण, राजस्व मामले आदि रखे जाएंगे। प्री-लिटिगेषन के प्रकरण भी उक्त राष्ट्रीय लोक अदालत में रखे जाएंगे। उक्त प्रकरणों में रिटायर्ड न्यायिक अधिकारी तथा प्री-काउंसलर के सहयोग से 16 नवम्बर से काउंसलिंग करवाई जा रही है।
जन सामान्य के द्वारा अपने प्रकरणों को राजीनामे के माध्यम से निपटाने हेतु उक्त राष्ट्रीय लोक अदालत में रखवाया जायेगा। प्रकरणों की सुनवाई हेतु राजस्थान उच्च न्यायालय, जयपुर  एवं अधीनस्थ न्यायालयों की कुल 505 बैंचों का गठन किया गया, जिनके द्वारा प्रकरणों की ऑनलाईन व ऑफलाईन माध्यमों से सुनवाई की जाएगी। उक्त बैंचों में 04 दिसम्बर तक 6,64,736 प्री-लिटिगेषन तथा 3,23,473 न्यायालयों में लम्बित प्रकरण, कुल 9,88,209 प्रकरण सुनवाई हेतु रैफर किये जा चुके हैं। इसके बाद भी बड़ी संख्या में प्री-लिटिगेशन एवं लम्बित प्रकरण रैफर किये जा रहे हैं।
राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, जयपुर के सदस्य सचिव ने बताया कि राष्ट्रीय लोक अदालत के प्रति आमजन एवं पक्षकारों में काफी उत्साह है। पक्षकार स्वयं आगे बढ़कर अपने मामलों को लोक अदालत में लगवाने के लिए आ रहे हैं। साथ ही विद्वान अधिवक्तागण द्वारा भी अपने स्तर पर पक्षकारों को अपने मामले राजीनामा के माध्यम से सुलझाने वाले इस सुलभ माध्यम को अपनाने हेतु प्रेरित किया जा रहा है।

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