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अतिरिक्त मुख्य सचिव ने की मौसमी बीमारियों और हीटवेव प्रबंधन की समीक्षा
तीन दिन में व्यवस्थाएं सुचारू करने के निर्देश, शिकायत मिली तो होगा सख्त एक्शन
जयपुर, (24 मई 2024)। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव शुभ्रा सिंह ने कहा कि हीटवेव को लेकर राजस्थान रेड अलर्ट श्रेणी में है और मौसम विभाग ने आगामी समय में भी अत्यधिक गर्मी एवं लू की चेतावनी दी है। ऐसे में प्रदेश का समस्त चिकित्सा प्रबंधन संवेदनशीलता के साथ हीटवेव से बचाव एवं उपचार की पुख्ता व्यवस्थाएं सुनिश्चित करे। अस्पतालों में कूलर, पंखे, एसी, वाटर कूलर आदि आवश्यक रूप से क्रियाशील रहें। जहां भी हीटवेव को लेकर आवश्यक व्यवस्थाओं में गेप है, वहां 3 दिन के भीतर सम्पूर्ण व्यवस्थाएं सुचारू करें, अन्यथा जिम्मेदार अधिकारी और कार्मिक के विरूद्ध सख्त एक्शन लिया जाएगा।
सिंह शुक्रवार को स्वास्थ्य भवन में वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से मौसमी बीमारियों एवं हीटवेव प्रबंधन को लेकर समीक्षा बैठक को सम्बोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि मौसमी बीमारियों एवं हीटवेव प्रबंधन को लेकर चिकित्सा संस्थानों में किसी तरह की कमी नहीं रहे। किसी भी स्तर पर लापरवाही के कारण मरीजों को होने वाली असुविधा बर्दाश्त नहीं की जा सकती। उन्होंने संयुक्त निदेशक जोन को निर्देश दिए कि मौसमी बीमारियों एवं हीटवेव संबंधी व्यवस्थाओं की मॉनिटरिंग के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किए जाएं।
आरएमआरएस की बैठकें कर तात्कालिक आवश्यकताओं को पूरा करें –
अतिरिक्त मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि तात्कालिक आवश्यकताओं को देखते हुए आरएमआरएस की बैठक तुरंत कर जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाए। उन्होंने बताया कि आचार संहिता के चलते आरएमआरएस की बैठकें नहीं हो पा रही थीं। इसके चलते चिकित्सा संस्थानों में आवश्यक संसाधनों की खरीद एवं अन्य कार्य बाधित हो रहे थे, लेकिन तात्कालिक आवश्यकताओं को देखते हुए चुनाव आयोग की सहमति के अनुसार ये बैठकें आयोजित की जा सकती हैं। उन्होंने कहा कि संसाधनों की खरीद आदि में समय लगने तक वैकल्पिक व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जाएं।
चिकित्सा शिक्षा विभाग ने सभी मेडिकल कॉलेजों के प्रधानाचार्यों को पत्र लिखकर निर्देश दिए हैं कि मेडिकल कॉलेजों से संबद्ध अस्पतालों में हीटवेव प्रबंधन के लिए आरएमआरएस में उपलब्ध बजट का युक्ति संगत उपयोग किया जाए। इसके लिए समस्त चिकित्सा महाविद्यालय से संबद्ध अस्पताल आरएमआरएस की बैठक तुरंत प्रभाव से आयोजित कर कूलर, एसी, डक्टिंग, वाटर कूलर, दवा आदि से संबंधित आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित करें।
डेथ ऑडिट कमेटी की जांच के बाद ही हो हीट स्ट्रोक से मौतों की रिपोर्टिंग –
सिंह ने कहा कि चिकित्सा संस्थानों में होने वाली मौतों की डेथ ऑडिट कमेटी द्वारा प्रोटोकॉल के अनुसार जांच की जाए। इसके बाद ही हीट स्ट्रोक से होने वाली मौतों की आईएचआईपी पोर्टल पर रिपोर्टिंग की जाए। उन्होंने कहा कि किसी रोगी के मृत्यु के कई कारण हो सकते हैं, इसलिए डेथ ऑडिट कमेटी की रिपोर्ट के बाद ही यह घोषित किया जाए कि मौत का कारण हीट स्ट्रोक है।
मौसमी बीमारियों पर नियंत्रण के लिए नोडल अधिकारियों के साथ साप्ताहिक बैठक –
अतिरिक्त मुख्य सचिव ने मौसमी बीमारियों की जिलेवार समीक्षा करते हुए निर्देश दिए कि डेंगू, मलेरिया आदि पर प्रभावी नियंत्रण के लिए एन्टीलार्वा एवं सोर्स रिडक्शन सहित अन्य गतिविधियां सघनता के साथ की जाएं। जहां भी केस सामने आए, वहां इन गतिविधियों को बढ़ाया जाए एवं प्रोटोकॉल के अनुसार कार्यवाही की जाए। रोकथाम गतिविधियों को लेकर स्थानीय निकाय विभाग द्वारा नियुक्त नोडल अधिकारियों के साथ साप्ताहिक बैठक की जाए।
जिन जिलों में केस ज्यादा आए हैं, वहां विशेष सतर्कता बरतें –
सिंह ने मौसमी बीमारियों से संबंधित केसों की नियमित रिपोर्टिंग करने एवं आमजन को जागरूक करने के लिए निरन्तर आईईसी गतिविधियां किए जाने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि जिन जिलों में डेंगू के केस ज्यादा सामने आए हैं, वहां विशेष सतर्कता बरती जाए। मौसमी बीमारियों की मॉनिटरिंग के लिए किए गए नवाचार ओडीके एप पर आई शिकायतों के निस्तारण के लिए विस्तृत दिशा निर्देश जारी किए जाएं।
90 प्रतिशत चिकित्सा संस्थानों में व्यवस्थाएं चाक-चौबंद –
निदेशक जनस्वास्थ्य, डॉ. रवि प्रकाश माथुर ने बैठक में बताया गया कि हीटवेव को लेकर मार्च माह से ही ट्रेनिंग, ऑरियंेटेशन, कार्यशाला आदि कार्यक्रम शुरू कर दिए गए थे। सभी चिकित्सा संस्थानों को तैयारियों के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए गए थे एवं अस्पतालों में आवश्यक संसाधनों को लेकर अप्रेल माह में ही गेप एनालिसिस कर लिया गया था। इन तैयारियों के कारण जिला अस्पताल से लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों तक करीब 3500 चिकित्सा संस्थानों में से 90 प्रतिशत में व्यवस्थाएं चाक-चौबंद स्थिति में है। शेष 10 प्रतिशत में भी अधिकारियों द्वारा वैकल्पिक सुविधाएं सुनिश्चित कर ली गई हैं।
पाली में मां-बेटे की मौत हीट स्ट्रोक के कारण नहीं –
बैठक में अवगत कराया गया कि पाली जिले के देसूरी ब्लॉक के गुडा मंगलियान गांव में मां-बेटे की मृत्यु भीषण गर्मी के कारण नहीं हुई है। गांव के 38 वर्षीय समन्दर सिंह घर पर सो रहे थे। शरीर में हलचल नहीं देखकर परिवार वाले उन्हें सादड़ी के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र ले गए, जहां जांच के बाद चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। परिजनों ने पोस्टमार्टम के लिए भी मना कर दिया। मृतक में हीट स्ट्रोक से संबंधित कोई लक्षण नहीं पाया गया था। इसी प्रकार समन्दर सिंह की 80 वर्षीय मां राजू कंवर पहले से ही हृदय रोगी थी। उन्हें सांस लेने में परेशानी और छाती में दर्द की शिकायत के बाद 23 मई को सादड़ी के राजकीय चिकित्सालय में भर्ती कराया गया था। उनकी 24 मई को उपचार के दौरान मृत्यु हो गई। मृत्यु का कारण चिकित्सक दल ने हृदय गति रूकना बताया है। उनकी मृत्यु भी हीट स्ट्रोक के कारण नहीं पाई गई।
बैठक में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के मिशन निदेशक डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी, आरएमएससीएल की प्रबंध निदेशक नेहा गिरि, निदेशक आरसीएच डॉ. सुनीत राणावत, अतिरिक्त निदेशक अस्पताल प्रशासन डॉ. सुशील कुमार परमार, अतिरिक्त निदेशक ग्रामीण स्वास्थ्य डॉ. प्रवीण असवाल सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे। मेडिकल कॉलेजों के प्रधानाचार्य, अधीक्षक, संयुक्त निदेशक जोन, सीएमएचओ, पीएमओ, जिला शिशु स्वास्थ्य एवं प्रजनन अधिकारी, उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी, जिला कार्यक्रम प्रबंधक, समस्त खण्ड मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं खण्ड कार्यक्रम प्रबंधक भी वीसी से जुड़े।