Rajasthan Update
Rajasthan Update - पढ़ें भारत और दुनिया के ताजा हिंदी समाचार, बॉलीवुड, मनोरंजन और खेल जगत के रोचक समाचार. ब्रेकिंग न्यूज़, वीडियो, ऑडियो और फ़ीचर ताज़ा ख़बरें. Read latest News in Hindi.

भाजपा की राजनीति में अब सब जायज – विपक्ष को निपटाने के लिए हर दांव लगाया

जयपुर,(01 मार्च 2024)। देश में अपने विस्तार और मजबूती के जुनून में भाजपा का मकसद अब कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दलों को पूरी तरह बेअसर (खत्म करना संभव नहीं है) करना है। इसके लिए वह साम,दाम दंड,भेद हर तरह के काम कर रही है। उसे कांग्रेसयुक्त भाजपा कहलाने से भी गुरेज नहीं है। पहले कहा जाता था कि प्यार और युद्ध में सब जायज है। लेकिन भाजपा ने इसमें राजनीति को भी जोड़ दिया है। यानी प्यार, युद्ध और राजनीति में सब जायज है। आगामी लोकसभा चुनावों में मोदी सरकार की वापसी की हैट्रिक के तमाम पूर्वानुमानों के बाद भी भाजपा,कांग्रेस और इंडिया गठबंधन के दलों में अभी भी सेंधमारी करने में लगी है। बीते कुछ सालों में कई राज्यों में दलबदल करा अपनी सरकारें बनाने के बाद ताजा मामले में राज्यसभा चुनावों में जहां उसने हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस में बगावत करा सीट जीत ली ( यहां कांग्रेस की सरकार पर भी अभी तलवार लटकी है) तो उत्तर प्रदेश में इंडिया गठबंधन में शामिल समाजवादी पार्टी के विधायकों से क्रॉस वोटिंग करवा कर अपना आठवां उम्मीदवार जिता लिया। विपक्ष के बड़े नेताओं को टिकट का लालच देकर भाजपा में शामिल करने,उनके खिलाफ चल रही भ्रष्टाचार की जांच को ठंडे बस्ते में डालने,नहीं मानने वाले नेताओं को जांच एजेंसियों के निशाने पर लाकर भाजपा ने अपना एजेंडा साफ कर दिया है कि वह किसी भी हद तक जाकर विपक्ष को कमजोर करके रहेगी?
विभिन्न राज्यों में करोड़ों-अरबों के भ्रष्टाचार से घिरे नेता भाजपा में शामिल होकर सत्ता सुख भोग रहे हैं और अब वो जांच एजेंजियों के रडार से हट गए हैं। जिन नेताओं पर भाजपा नेता खुद भर-भरकर आरोप लगाते थे,अब वो उनकी पार्टी या एनडीए की शान बढ़ा रहे है़ं। भाजपा ने ऐसा करते हुए भ्रष्टाचार व परिवारवाद जैसे अपने हथियारों को भोंथरा कर लिया और पार्टी कैडर की उपेक्षा करने में भी कोताही नहीं बरती। भ्रष्ट विपक्षी नेताओं को शामिल करने के साथ ही भाजपा ने ऐसे भी कई नेताओं को पार्टी में जगह दी है, जिनकी तीन-चार पीढ़ियां राजनीति में रही है और उन्होंने कांग्रेस में रहते हुए सत्ता का भरपूर सुख भोगा है। भाजपा ने पिछले साल राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस या अन्य पार्टी से शामिल हुए कई नेताओं को हाथों-हाथ टिकट दिए,तो अब लोकसभा चुनाव के लिए भी वह उन सीटों पर विपक्षी नेताओं को टिकट देने की तैयारी में हैं,जहां वो कई बार से जीत नहीं रही है या इस बार उसे जीतना मुश्किल लग रहा है। राज्यसभा में तो उसने और भी गजब कर दिया। जब महाराष्ट्र में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण शाम को कांग्रेस छोड़ भाजपा में आए और अगले ही दिन भाजपा ने उन्हें राज्यसभा का उम्मीदवार बना थाली में सांसदी परोस दी। कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जाने वाले नेताओं को पद और सम्मान मिलते देख भाजपा के नेता ही अब एक- दूसरे से सवाल पूछने लगे हैं कि अपना क्या होगा?
पिछले दिनों राजस्थान आए भाजपा के चाणक्य कहे जाने वाले गृहमंत्री अमित शाह ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा था कि आप में से यहां ऐसे कई नेता बैठे हैं,जो 25-25 साल के भाजपा में हैं। लेकिन उन्हें आज तक कुछ नहीं मिला है,ऐसे में कांग्रेस या दूसरी पार्टी से आने वाले नेताओं क्या मिलने वाला है? लेकिन हकीकत ये है कि भाजपा में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया, आरपीएन सिंह, जतिन प्रसाद,हेमंत बिस्वा सरमा,नारायण राणे,शुभेंदु अधिकारी, मुकुल राय,अशोक चव्हाण, जैसे कई नेता 25 साल पहले नहीं, हाल के सालों में ही भाजपा में आए और सत्ता-संगठन की अग्रिम पंक्ति में शामिल हो गए हैं। अबकी बार 400 पार के नारे को शायद मोदी-शाह इसी तरह साधने का संकल्प लेकर आगे बढ़ रहे हैं कि भले ही अपने लोगों की उपेक्षा करनी पड़े,लेकिन जीतने वाले विपक्ष के नेताओं को पार्टी में लाकर उन्हें टिकट देने में परहेज नहीं किया जाएगा।
लेकिन इसके लिए दोषी भाजपा को ही क्यों माना जाए? जब कांग्रेस और विपक्षी दल खुद अपना कुनबा नहीं संभाल पा रहे हैं। कांग्रेसियों को लगने लगा है कि उनका भविष्य अब सुरक्षित नहीं है,तो वो भी तो पार्टी छोड़ने को व्याकुल हैं। राहुल गांधी के नेतृत्व में जिस तरह लगातार कांग्रेस राज्यों में सिमट रही है और केंद्र में निकट भविष्य में सत्ता में आने की उसकी दूर-दूर तक संभावना नहीं लग रही है, ऐसे में सत्ता के आदी हो चुके कांग्रेसी खुद भी भाजपा में जाने के लिए लालायित हैं। ऐसा लगता है कांग्रेस पर गांधी परिवार की पकड़ पूरी तरह से खत्म हो गई है और उसे नियंत्रित करने वाला कोई नहीं रहा। सभी क्षेत्रीय क्षत्रप अपनी मनमानी कर रहे हैं। खुद राहुल गांधी की मंडली भी अब भाजपा में सत्ता का सुख भोग रही है। इंडिया गठबंधन की शुरुआत तो धूम-धड़ाके से हुई थी,लेकिन भाजपा ने उसे खड़ा ही नहीं होने दिया। राज्यों में क्षेत्रीय दलों का कांग्रेस से टकराव और कांग्रेस के अभी भी खुद को उनसे बड़ा समझने की नीति भी इसमें बाधा बन रही है। राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा के हाथों और राज्यों में क्षेत्रीय दलों के सामने निरंतर मात खाने के बावजूद कांग्रेस सबक लेने को तैयार नहीं है। वह गठबंधन की राजनीति को लेकर हमेशा कन्फ्यूज रहती है। गांधी परिवार का प्रभाव राजनीति में लगभग खत्म है जाने के बाद भी वह पूरी तरह उस पर निर्भर रहती है। जबकि ये कांग्रेसी भी जानते और मानते हैं कि राहुल गांधी,नरेन्द्र मोदी के सामने कहीं नहीं टिकते हैं।
लेकिन भाजपा के कांग्रेसीकरण से भाजपा के कार्यकर्ताओं व नेताओं में जो घुटन और निराशा पनप रही है,वह भी पार्टी को समझनी होगी। क्योंकि यह जमीनी कार्यकर्ता और नेता ही भाजपा के आधार और विस्तार के प्रेरक रहे हैं।

Leave A Reply

Your email address will not be published.