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राज्यपाल मिश्र ने राजस्थान विश्वविद्यालय के 78 वें स्थापना दिवस समारोह का किया शुभारंभ

विकसित भारत के संकल्प के लिए उच्च शिक्षा से जुड़े युवा आगे आकर करे पहल, 'विकसित भारत—2047' के संवाहक बने विश्वविद्यालय—राज्यपाल

जयपुर, (8 जनवरी 2024)। राज्यपाल कलराज मिश्र ने ‘विकसित भारत—2047’ के लिए विश्वविद्यालयों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा केन्द्र के रूप में अपनी पहचान बनाने के साथ ही वैश्विक आवश्यकताओं के अनुरूप अपने आपको तैयार करने पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय शैक्षिक गुणवत्ता, शोध—अनुसंधान की मौलिक दृष्टि के साथ अपने आपको इस तरह से विकसित करे कि विदेशों से अभिभावक अपने बच्चों को भारत पढ़ने के लिए भेजने हेतु उत्सुक रहें। उन्होंने विकसित भारत के संकल्प के लिए उच्च शिक्षा से जुड़े युवाओं को आगे आकर महती भूमिका निभाने का भी आह्वान किया है।
राज्यपाल मिश्र सोमवार को राजस्थान विश्वविद्यालय के 78 वें स्थापना दिवस पर संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय वह स्थान है, जहां से ज्ञान के बीज अंकुरित होते हैं। यहीं से हमारी युवा पीढ़ी भविष्य में कुछ बनने के स्वप्न संजोती है। उन्होंने कहा कि आजादी के सौ वर्ष पूर्ण होने के अमृतकाल में न केवल हमें विकास के लिए निरंतर कार्य करना है बल्कि आर्थिक, सामाजिक, शैक्षणिक तथा लैंगिक असमानताओं को दूर कर तेजी से आगे बढ़ने की भी जरूरत है। देश के विश्वविद्यालयों को इसका संवाहक बनना चाहिए।
राज्यपाल ने विश्वविद्यालयों को अपने यहां ऐसे पाठ्यक्रम निर्मित करने पर जोर दिया जो युवाओं को कौशल संपन्न करने के साथ ही उनकी भविष्य की दृष्टि को विकसित कर सके। उन्होंने कहा कि विकसित भारत के लिए समग्र शिक्षा, कौशल विकास और प्रौद्योगिकी के एकीकरण पर भी विशेष कार्य करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय युवाओं को यह विश्वास दिलाए कि उनके निर्णयों पर समाज भरोसा करता है। उन्होंने विश्वविद्यालयों द्वारा युवाओं को मानवीय आदर्शों और राष्ट्र निर्माण से जुड़े कार्यों और प्राथमिकताओं से परिचित कराने के लिए भी कार्य करने का आह्वान किया।
राज्यपाल मिश्र ने राजस्थान विश्वविद्यालय के गौरवमय इतिहास की चर्चा करते हुए विश्वविद्यालय को भविष्य का ऐसा रोडमैप बनाने के लिए भी कहा जिससे यहां गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और शोध की मौलिक दृष्टि के साथ युवा उद्यमिता विकास के लिए प्रभावी कार्य हो सके। उन्होंने कहा कि  शिक्षा अनुभवों के निरंतर पुनर्निर्माण से जीवन जीने की प्रक्रिया है। यह विद्यार्थियों में निहित उन तमाम क्षमताओं का विकास करती है जो उसे भविष्य की चुनौतियों से मुकाबला करने के लिए सक्षम बनाती है। उन्होंने नई शिक्षा नीति के आलोक में शिक्षा का व्यावहारिक बनाने, सांस्कृतिक और खेल प्रतिभाओं को अवसर प्रदान करने और विश्वविद्यालय के आदर्श वाक्य ‘‘धर्मों विश्वस्य जगतः प्रतिष्ठा’’ के संदर्भ में समाज और राष्ट्र के प्रति समर्पित रहते हुए ‘विकसित भारत 2047’  में सभी को मिलकर योगदान देने का आह्वान किया।
इससे पहले राज्यपाल मिश्र ने विश्वविद्यालय में मानविकी पीठ के नवीनीकरण से जुड़े कार्यों का लोकार्पण किया। उन्होने कहा कि मानविकी मानव अध्ययन से जुड़ा क्षेत्र है। इसके अंतर्गत भारत के गौरवमय अतीत से प्रेरणा लेते हुए भविष्य की उज्जवल दृष्टि पर हमें ध्यान केन्द्रित करना चाहिए।
इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा ने विश्वविद्यालयी शिक्षा के जरिए युवाओं को भविष्य की चुनौतियों के लिए सक्षम बनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में रिक्त पद भरने के लिए प्रभावी प्रयास होंगे।  वहीं सांसद रामचरण बोहरा ने नई शिक्षा नीति के साथ विकसित भारत के लिए चुनौतियों को अवसरों में बदलने की बात कही। विधायक और पूर्व मंत्री श्री कालीचरण सराफ ने विश्वविद्यालय से जुड़ी अपनी स्मृतियां साझा करते हुए शिक्षा क्षेत्र में राजस्थान को अग्रणी बनाए जाने के लिए मिलकर कार्य करने पर जोर दिया।
विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. अल्पना कटेजा ने विश्वविद्यालय के अंतर्गत किए जा रहे कार्यों और स्थापना दिवस पर भविष्य की योजनाओं के बारे में विस्तार से अवगत कराया।  राज्यपाल मिश्र ने आरम्भ में सभी को संविधान की उद्देशिका का वाचन करवाया और मूल कर्तव्य पढ़कर सुनाए।

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