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जयपुर, 24 जनवरी। शिक्षा मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला ने मंगलवार को विधानसभा में कहा कि राज्य की प्रतियोगी परीक्षाओं में राजस्थान की संस्कृति, इतिहास, भूगोल आदि से संबंधित करीब 30 से 40 प्रतिशत प्रश्न शामिल होते हैं, जिससे स्थानीय अभ्यर्थियों को भर्ती में लाभ मिल सके।
डॉ. कल्ला ने प्रश्नकाल के दौरान इस संबंध में पूछे गये पूरक प्रश्न के जवाब में कार्मिक मंत्री की ओर से बताया कि राजस्थान लोक सेवा आयोग द्वारा वर्ष 2012 से अब तक आयोजित परीक्षाओं में राज्य से बाहर के मात्र 1.05 प्रतिशत अभ्यर्थी तथा राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड द्वारा आयोजित परीक्षाओं में अब तक 0.90 प्रतिशत बाहर के अभ्यर्थी चयनित हुए हैं। उन्होंने बताया कि स्थानीय लोगों को भर्तियों में आरक्षण देने के सम्बन्ध में कोई प्रावधान नहीं है।
डॉ. कल्ला ने कहा कि पंजाब, तमिलनाडु, गुजरात की स्थानीय भाषा मान्यता प्राप्त है, जबकि राजस्थान की भाषा मान्यता प्राप्त नहीं है। उन्होंने कहा कि राजस्थानी भाषा को मान्यता के लिए प्रस्ताव विचाराधीन है। अभी तक इस पर कोई कार्यवाही नहीं की गई है।
इससे पहले डॉ. कल्ला ने विधायक वासुदेव देवनानी के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में बताया कि वर्तमान में प्रदेश की भर्तियों में स्थानीय प्रदेशवासियों के लिए अलग से आरक्षण का प्रावधान नहीं है। उन्होंने बताया कि राज्य के अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग, अति पिछड़ा वर्ग तथा आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को कुलभर्तियों में से 64 प्रतिशत पदों पर केवल राजस्थान के स्थानीय निवासियों से भरे जाने का प्रावधान है। इसके अलावा भूतपूर्व सैनिक जिनका आरक्षण क्षैतिज है, उनको भी स्थानीय निवासियों से भरे जाने का प्रावधान है।