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अतिरिक्त मुख्य सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने की मौसमी बीमारियों की स्थिति की समीक्षा
मौसमी बीमारियों की रोकथाम में प्रदेश की स्थिति बेहतर -आगे भी प्रो-एक्टिव एप्रोच के साथ काम करने के निर्देश
जयपुर, । चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव शुभ्रा सिंह ने सोमवार को स्वास्थ्य भवन में वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से मौसमी बीमारियों की स्थिति की समीक्षा की। उन्होंने संभागवार संयुक्त निदेशकों से प्रत्येक जिले में मौसमी बीमारियों की स्थिति की विस्तार से जानकारी ली और आवश्यक निर्देश दिए।
बैठक में बताया गया कि मौसमी बीमारियों की रोकथाम एवं नियंत्रण में राजस्थान की स्थिति अन्य राज्यों के मुकाबले बेहतर है। डेंगू, मलेरिया सहित अन्य मौसमी बीमारियों का प्रसार प्रदेश में विगत वर्षों की तुलना में कम रहा है। तिरिक्त मुख्य सचिव ने मौसमी बीमारियों को लेकर किए गए प्रबंधन पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि सभी संबंधित विभागों के अधिकारी इसी तरह पूर्ण समन्वय और सतर्कता के साथ काम करें ताकि आगे भी स्थिति नियंत्रण में रहे।
अतिरिक्त मुख्य सचिव ने कहा कि मई माह से ही मौसमी बीमारियों की रोकथाम के लिए जिस प्रो-एक्टिव एप्रोच के साथ काम किया गया है, उसी तरह आगे भी रोकथाम गतिविधियों का संचालन सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने निर्देश दिए कि पानी जमाव वाले स्थानों पर एन्टीलार्वा गतिविधियां सघनता के साथ की जाएं। घरों में मच्छर के लार्वा पाये जाने पर समझाइश के बाद भी लोग सहयोग नहीं करें तो राजस्थान ऐपीडेमिक एक्ट के तहत कार्यवाही की जाए।
फील्ड विजिट कर करें नियमित मॉनिटरिंग –
तिरिक्त मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि सभी संयुक्त निदेशक संबंधित जिलों में मौसमी बीमारियों की स्थिति की नियमित मॉनिटरिंग करें तथा जिन जिलों में केस ज्यादा आएं वहां दौरा कर प्रभावी रणनीति के साथ प्रबंधन सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि चिकित्सा व्यवस्थाओं से जुड़े अधिकारी बिना अनुमति मुख्यालय नहीं छोड़ें। स्थानीय निकाय विभाग के अधिकारी नियमित रूप से फील्ड विजिट कर एन्टीलार्वा एवं फोगिंग आदि गतिविधियों की मॉनिटरिंग करें। उन्होंने निर्देश दिए कि अस्पतालों में जांच एवं उपचार की व्यवस्थाओं को लेकर कोई लापरवाही नहीं हो।
निदेशक जनस्वास्थ्य डॉ. रवि प्रकाश माथुर ने कहा कि जहां भी पॉजिटिव केस सामने आएं उसके आस-पास के क्षेत्र में एन्टीलार्वा एवं फोगिंग आदि गतिविधियां प्राथमिकता एवं सघनता के साथ की जाएं ताकि बीमारी का प्रसार नियंत्रित रहे।
पशुपालन निदेशक डॉ. भवानी सिंह राठौड़ ने कहा कि सभी जिलों में जूनोटिक डिजीज की रोकथाम के लिए अधिकारियों को चिकित्सा विभाग के साथ सक्रिय समन्वय रखते हुए फोगिंग इत्यादि गतिविधियां करवाये जाने के निर्देश दिए गए हैं।
अतिरिक्त निदेशक ग्रामीण स्वास्थ्य डॉ. रवि प्रकाश शर्मा ने प्रस्तुतीकरण के माध्यम से मौसमी बीमारियों की स्थिति एवं रोकथाम गतिविधियों से अवगत कराया। चिकित्सा शिक्षा, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, पशुपालन विभाग एवं स्थानीय निकाय विभाग के संभाग, जिला एवं ब्लॉक स्तर तक के अधिकारी वीसी के माध्यम से बैठक में उपस्थित रहे।