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उप चुनाव झुंझुनूं में भाजपा लगायेगी सेंध या कांग्रेस का रहेगा पुन: दबदबा
भाजपा के दर्जनों संभावित प्रत्याशियों के बीच कांग्रेस से ओला परिवार की है मजबूत दावेदारी
झुंझुनूं/ जयपुर (राजन चौधरी)। झुंझुनूं विधानसभा का उप चुनाव होना तय है, यह कहना झुंझुनंू विधानसभा क्षेत्र के आमजन ने लोकसभा चुनाव के साथ ही शुरू कर दिया था। आमजन ने कहा वैसा ही अनेक भाजपाई शुभकरण चौधरी को टिकट मिलते ही कहने लगे थे कि एक लाख से अधिक वोटों से हारेंगे। गत लोकसभा चुनावों में सक्रिय मतदाता कहता था जितेगा तो ओला ही, जब उनसे पुछा जाता कि आपने वोट किसे दिया तो वह अपने को भाजपा का वोटर बताता। पर इसके बाद लोकसभा का परिणाम भी चौकाने वाला आया। भाजपा व कांग्रेस दोनो इतनी कम वोट से हार-जीत नही मान रहे थे।
वर्तमान समय में अब सारा फोकस सरकार व कांग्रेस पार्टी का उप चुनाव पर है। इसी के चलते मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने झुंझुनूं का दौरा भी किया और भाजपाईयों को विशेष रूप से टिकट दावेदारों को यह समझाने का प्रयास किया कि एक प्रत्याशी पर सर्व सहमति बने। सर्व सहमति किस पर बनेगी यह तो वक्त बतायेगा, लेकिन आमजन कहने लगा है कि राजेंद्र भांबू व बबलू चौधरी को तो टिकट नही मिलेगी, टिकट तो किसी नये को ही मिलेगी। नया प्रत्याशी भाजपा का कौन होगा, इसको लेकर टिकट की दौड़ लगाने वाले दावेदार अपने पूरे प्रयास के साथ जयपुर- दिल्ली की यात्राएं कर रहे है। नये व्यक्ति को टिकट मिलने की चर्चा के साथ राजनीति की मुख्य धारा में नही रहने वाले ज्वैलर्स व्यासायी शिवकरण जानू भी मैदान में कूद पड़े है। भाजपा की टिकट दौड़ में दो तरह के तर्क दिये जा रहे है। जाट प्रत्याशी बनाया जाये तो ही जीत सकता, टक्कर दे सकता, मजबूत रहेगा या जाट के वोट वन-वे जाने से रोक सकता है। दूसरा तर्क है जाट के अलावा प्रत्याशी बनाये गए पूर्व विधायक मूलसिंह शेखावत भी तो उप चुनाव में जीते थे या मूल भाजपाई अन्य जातियों के अधिक है। साथ ही जाट के अलावा सैनी, राजपूत, ब्राह्मण समाज के प्रत्याशी को टिकट दी जाती है तो जीत हो सकती है। क्योकि जाटों के वोट तो बंटे हुए है। वहीं जाटों के वोट के लिए यह भी तर्क है कि भाजपा की टिकट जाट के अलावा अन्य जाति के व्यक्ति को टिकट दी तो जाट कांग्रेस के साथ लामबंद हो जाएगे। ऐसा अनेक बार व अनेक विधानसभा क्षेत्रों में हुआ भी है।
खैर भाजपा किसको टिकट देगी यह तो भाजपा का हाईकमान जाने, लेकिन आमजन नये प्रत्याशी का चेहरा देखने को उत्सुक है। भाजपा से नये चेहरों में मुकेश दाधीच, राजेंद्र शर्मा, बनवारीलाल सैनी विशम्भर पूनिया, राजेश बाबल, प्यारेलाल ढूकिया, हर्षिनी कुल्हरी, डॉ. शालिनी गर्सा, मुरारीलाल सैनी, शिवकरण जानू सहित एक दर्जन से अधिक प्रत्याशी के नाम सुनने व होर्डिस पर देखने को मिल रहे है।
वहीं कांग्रेस की टिकट ओला परिवार की मानी जा रही है। जिसमें बृजेंद्र ओला अपने पुत्र अमित ओला को चुनाव लड़ाने की संभावनाओं का आंकलन किया जा रहा है। जबकि जिलाध्यक्ष दिनेश सुण्डा भी टिकट का प्रयास कर रहे है। वहीं वक्फ बोर्ड के चैयरमेन एमडी चोपदार भी टिकट की दौड़ सोशियल मिडिया सहित जयपुर व दिल्ली के नेताओं तक रह रहे है। इन सारे सेमीकरणों के बीच पूर्व मंत्री राजेंद्र गुढ़ा भी राजनैतिक जमीन तलाशने में लगे हुए है। यदि वे चुनाव मैदान में रहते है तो त्रिकोणिय मुकाबला होगा। ऐसी स्थिति में कांग्रेस की जीत की संभावना ज्यादा हो सकती है।
झुंझुनूं के उपचुनाव को लेकर सरकार काफी गंभीर है। ऐसी स्थिति में राजनैतिक विशेषज्ञों का मानना है कि भाजपा किसी नये दमदार व निर्विवादित चेहरे को मैदान में उतारेंगी।