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जयपुर । जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री डॉ. महेश जोशी की अध्यक्षता में गुरूवार को यहां जल भवन में हुई जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी एवं जल संसाधन विभाग की संवेदीकरण बैठक में राज्य सरकार के मिशन 2030 अभियान को लेकर प्रबुद्धजनों, विषय विशेषज्ञों, हितधारकों, स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधियों, विभागीय अधिकारियों-कर्मचारियों के बहुमूल्य सुझाव आमंत्रित किए गए। साथ ही, पेयजल क्षेत्र में 2030 तक के विजन को लेकर प्रदेशवासियों की राज्य सरकार से आकांक्षाओं एवं अपेक्षाओं पर भी चर्चा की गई। बैठक में प्रदेशभर से पीएचईडी एवं जल संसाधन विभाग के छह लाख से अधिक हितधारक जुड़े।
बैठक में जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री डॉ. महेश जोशी ने कहा कि जिस प्रकार 1985 में पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी ने देश को 21 वीं सदी में ले जाने का सपना पूरा करने के लिए सूचना क्रांति का आगाज किया था और पूरे देश में कम्प्यूटर एवं संचार क्रांति आई थी, उसी प्रकार का सपना 2030 तक के राजस्थान का सपना मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने देखा है और वे मिशन 2030 लेकर आए हैं जिसके परिणाम दूरगामी होंगे और राजस्थान नंबर वन राज्य बनेगा। उन्होंने कहा कि विजन-2030 राजस्थान के फ्यूचर रोडमैप एवं प्रगति के लिए एक महत्वपूर्ण दस्तावेज बनेगा।
जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री ने कहा कि वर्ष 2030 तक शहरी क्षेत्र के सभी घरों में पेयजल उपलब्ध कराने के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रहे हैं। अभी शहरी क्षेत्र में कुल 228 शहरों-कस्बों में 46 लाख 77 हजार घरों में से 32 लाख से अधिक घरों में नल से जलापूर्ति की जा रही है। बाकी बचे हुए घरों में से अमृत 2.0 में 8 लाख 35 हजार तथा 15 वें वित्त आयोग तथा अन्य राज्य प्रवर्तित योजनाओं में 6 लाख 33 हजार घरों को नल कनेक्शन से लाभान्वित करने का लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के सभी 228 शहरों-कस्बों को 24 घंटे में एक बार पेयजल आपूर्ति उपलब्ध कराना जलदाय विभाग के विजन-2030 में शामिल है।
सभी 50 जिलों में स्थापित होंगी जल गुणवत्ता जांच लैब
डॉ. जोशी ने पूरे प्रदेश में जल गुणवत्ता जांच प्रयोगशालाएं स्थापित करने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि अभी 33 जिलों में यह प्रयोगशालाएं हैं, अब नए बने 17 जिलों में भी यह प्रयोगशालाएं स्थापित की जाएंगी। इस प्रकार प्रदेश के पूरे 50 जिलों में ये लैब स्थापित होने से आमजन को मिलने वाले पेयजल की गुणवत्ता जांच में आसानी रहेगी।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में गैर राजस्व जल यानी छीजत अभी लगभग 30 प्रतिशत तक है। इसे 20 प्रतिशत से कम करने तथा अपशिष्ट जल को रि-साईकल कर 20 प्रतिशत तक जल का सदुपयोग करने की दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं।
डॉ. जोशी ने बैठक में आए सभी प्रतिभागियों एवं हितधारकों का आह्वान किया कि वे मिशन 2030 का हिस्सा बनकर अपने बेहतरीन सुझाव साझा करें और दूसरों को भी जागरूक करते हुए विजन 2030 दस्तावेज को बेहतरीन एवं उपयोगी बनाने में भागीदार बनें।
बैठक की शुरूआत में एमडी (जल जीवन मिशन) अविचल चतुर्वेदी ने मिशन 2030 की एक रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए कहा कि राजस्थान को नंबर वन बनाने के लिए पूरे प्रदेश के हितधारकों से फीडबैक लिया जा रहा है। उन्होंने जलदाय विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों का आह्वान किया कि वे जमीनी स्तर पर अधिक से अधिक लोगों को जोड़ें। संयुक्त सचिव, आयोजना सुशील कुलहरी ने बताया कि मिशन 2030 की शुरूआत 15 अगस्त से हुई थी और यह 30 सितम्बर तक चलेगा। उन्होंने हर विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों को राज्य के विकास के लिए उपयोगी सुझाव देने का आह्वान किया।
संवेदीकरण बैठक में शामिल हितधारकों को विभागीय प्रस्तुतीकरण के माध्यम से जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी एवं जल संसाधन विभाग की उपलब्धियों के साथ ही भविष्य की रूपरेखा एवं लक्ष्यों के बारे में जानकारी दी गई।
6.29 लाख ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति सदस्य जुड़े
बैठक में ग्राम जल एवं स्वच्छता समितियों के करीब 6 लाख 29 हजार सदस्यों, करीब 2700 पीएचईडी के अधिकारी-कर्मचारियों, 6 हजार जल उपयोगिता संगम सदस्यों तथा दो हजार जल संसाधन विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों ने भागीदारी की। ग्राम, ब्लॉक एवं जिला स्तर पर आमजन ने भी वीसी के माध्यम से शिरकत की जिन्हें मिशन 2030 के बारे में जागरूक किया गया।
बैठक में मिशन-2030 प्रोग्राम मोनिटरिंग यूनिट के अध्यक्ष एवं मुख्य अभियंता (तकनीकी) दलीप गौड़, मुख्य अभियंता (प्रशासन), पीएचईडी राकेश लुहाड़िया, मुख्य अभियंता एवं अतिरिक्त सचिव (जल संसाधन) भुवन भास्कर, मुख्य अभियंता जल संसाधन (सीएडी) संदीप माथुर, मुख्य अभियंता (शहरी), पीएचईडी के. डी. गुप्ता, उप सचिव (आईजीएनपी) जितेन्द्र दीक्षित, अतिरिक्त मुख्य अभियंता (सपोर्ट एक्टीविटीज), पीएचईडी सतीश जैन, अतिरिक्त मुख्य अभियंता, जल संसाधन योगेश मित्तल सहित प्रदेश भर से अभियंता एवं कर्मचारी जुड़े।