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टायर वेस्ट प्रबंधन के साथ ईपीआर लक्ष्यों की प्राप्ति में नए आयाम होंगे स्थापित : अध्यक्ष शिखर अग्रवाल 

कंटीन्यूअस प्रकार की टायर पायरोलिसिस इकाइयों की स्थापना को दी गई मंजूरी

जयपुर, (18 अगस्त 2023)| राजस्थान  में  बढ़ती  वाहनों  की संख्या के साथ टायर वेस्ट का समुचित निस्तारण एक बड़ी समस्या नजर  रही थी। जिसको मध्यनजर रखते हुए राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मंडल एवं एनजीटी  सीपीसीबी द्वारा समय समय पर उचित दिशा निर्देश जारी किये जाते रहे साथ ही आम जन के साथ हितधारकों के हितों को सर्वोपरि रख कर प्रदूषण नियंत्रण एवं अपशिष्ट निस्तारण की दिशा में निरंतर प्रयास किये जा रहे है।

राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मंडल के अध्यक्ष शिखर अग्रवाल ने कहा कि वाहनों की बढ़ती संख्या के परिणामस्वरूप टायर कचरे के उत्पादन के साथऐसी टायर पायरोलिसिस इकाइयों की स्थापना को सक्षम और प्रोत्साहित करना समय की मांग है जो प्रदूषण का कारण नहीं बनती हैं। आरएसपीसीबी ने तदनुसार कुछ चेतावनियों के साथ निरंतर प्रक्रिया के बाद नई टायर पायरोलिसिस इकाइयों की स्थापना और कंटीन्यूअस बैच  प्रकार की मौजूदा इकाइयों के रूपांतरण की अनुमति देने का निर्णय लिया है आशा है कि इस निर्णय से  केवल टायर प्रसंस्करण इकाइयों में तत्काल निवेश और टायर कचरे का उचित निपटारा हो सकेगाबल्कि ईपीआर लक्ष्यों की शीघ्र प्राप्ति  भी होगी। उन्होंने कहा कि इस दौरान हितधारकोंसीपीसीबी एवं गहन रिसर्च के पश्चात् यह निर्णय लिया है जिससे उम्मीद यही है कि निश्चित तौर पर टायर वेस्ट का उचित निस्तारण हो सकेगा साथ ही आर्थिक मूल्यों में भी वृद्धि हो सकेगी इसी के साथ अवैध रेसाइक्लर्स पर भी नजर रखी जा सकेगी।

कंटीन्यूअस प्रकार की टायर पायरोलिसिस इकाइयों की स्थापना को दी गई मंजूरी –

राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल के सदस्य सचिव श्री विजय एन द्वारा जारी आदेशानुसार राज्य में  स्थापित संचालित  करने   की  सहमति  केवल  निरंतर  प्रकार  की  टायर पायरोलिसिस  इकाइयों  को  दी जाएगी कि बैच  प्रक्रिया पर चलने वाली इकाइयों को। वहीं बैच प्रक्रिया पर  टायर पायरोलिसिस इकाइयों के  संचालन और  प्राधिकरण के लिए सहमति के नवीनीकरण के लिए ऐसी इकाइयों को केवल निर्दिष्ट औद्योगिक क्षेत्रों के भीतर ही अनुमति दी जाएगी वहीँ ऐसी इकाइयों को  गंभीर रूप से प्रदूषित क्षेत्रोंनॉन अटेन्मेंट शहर  (अलवरकोटाजयपुरजोधपुर और उदयपुरऔर राज्य के एनसीआर  उप क्षेत्र में  अनुमति नहीं दी जाएगी। साथ ही बैच प्रक्रिया पर टायर  पायरोलिसिस इकाइयों के संचालन और प्राधिकरण के  लिए नवीनीकरण की सहमति इस शर्त पर दी जाएगी कि इकाई को 31.12.2025   तक कंटीन्यूअस प्रक्रिया में  परिवर्तित कर दिया जाएगा। इस सम्बन्ध में राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल सतत रूप से निगरानी रखने के साथ किसी विशेष क्षेत्र में ऐसी इकाइयों के संकेन्द्रण को प्रतिबंधित कर सकेगा।

उल्लेखनीय है कि राज्य में 2012 के बाद कंटीन्यूअस  प्रकार की टायर पायरोलिसिस इकाइयों की स्थापना पर आगामी आदेशों तक  प्रभावी रोक लगा दी गयी थी। जिसके पश्चात एनजीटी ने सीपीसीबी को एनईईआरआई और आईआईटीदिल्ली की भागीदारी के साथ अध्ययन करने का निर्देश दिया था ताकि अध्ययन के नतीजे के आधार पर यह निर्णय लिया जा सके कि मौजूदा बैच  या एडवांस बैच स्वचालित या केवल कंटीन्यूअस इकाइयों को अनुमति दी जाए या नहीं। जिसके पश्चात् एनजीटी एवं  सीपीसीबी के निर्देशानुसार  टायर वेस्ट के समुचित निस्तारण की समस्या एवं प्रदूषण नियंत्रण के साथ ईपीआरएक्सटेंडेड प्रोड्यूसर रिस्पांसिबिलिटीको मध्यनजर रखते हुए यह निर्णय लिया गया  उक्त सम्बन्ध में विस्तृत आदेश के साथ एसओपी जारी  कर दी गयी है।

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