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जयपुर, । राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर, झालाना में चल रहे दो दिवसीय राजस्थान डोमेस्टिक ट्रैवल मार्ट के तीसरे संस्करण का रविवार को उत्साहपूर्ण समापन हुआ। मेगा ट्रैवल मार्ट में मिले रिस्पॉन्स से खरीदार (डोमेस्टिक टूर ऑपरेटर्स) और विक्रेता (टूरिज्म प्रोडक्ट्स के ओनर) दोनों में ही उत्साह देखने को मिला। दो दिवसीय इस मार्ट में राजस्थान के 200 से अधिक प्रदर्शकों और देश भर के 200 से अधिक डोमेस्टिक टूर ऑपरेटरों के मध्य 7000 से अधिक पूर्व-संरचित बी2बी बैठकें आयोजित हुईं। मार्ट में बैठकों के अतिरिक्त, ‘सस्टेनेबिलिटी इन टूरिज्म‘, ‘इनोवेटिव ऑफरिंग्स – न्यू प्रोडक्ट इन टूरिज्म‘, ‘सस्टेनेबल वेस्ट मैनेजमेंट इन हॉस्पिटैलिटी सेक्टर‘, ‘रिस्पॉन्सिबल टूरिज्म‘, ‘वाईल्डलाईफ टूरिज्म‘ आदि विषयों पर कई नॉलेज सेशंस भी आयोजित हुए।
राजस्थान डोमेस्टिक ट्रेवल मार्ट का आयोजन पर्यटन विभाग और फेडरेशन ऑफ हॉस्पिटैलिटी एंड टूरिज्म ऑफ राजस्थान (एफएचटीआर) के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। इस वर्ष मार्ट की थीम सस्टेनेबल टूरिज्म रखी गई। मार्ट का उद्देश्य संसाधनों की रक्षा और पोषण करते हुए और उन्हें नकारात्मक प्रभावों से बचाते हुए राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देना है।
सस्टेनेबिलिटी इन टूरिज्म‘ पर नॉलेज सेशन-
‘सस्टेनेबिलिटी इन टूरिज्म‘ पर नॉलेज सेशन में पर्यटन विभाग की प्रमुख शासन सचिव गायत्री राठौड़, हरिश्चंद्र माथुर राजस्थान राज्य लोक प्रशासन संस्थान के महानिदेशक नवीन महाजन, एफएचटीआर के प्रेसिडेंट अपूर्व कुमार और एफएचटीआर के संरक्षक, डॉ. ललित के पंवार ने आतिथ्य और पर्यटन उद्योग को ‘सस्टेनेबल‘ बनाने पर अपनी जानकारी साझा की।
पर्यटन विभाग की प्रमुख शासन सचिव गायत्री राठौड़ ने कहा कि जीडीपी और पर्यावरण के बीच संतुलन बनाने की जरूरत है। उन्होंने पर्यटन क्षेत्र में सस्टेनेबल प्रैक्टेसिस को अपनाने और आजीविका को बढ़ावा देने के महत्व पर जोर दिया है। राठौड़ ने ‘इन्टेंजिबल हेरिटेज‘ को पुनर्जीवित करने और जीवित कलाओं को संरक्षित करने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला।
एफएचटीआर के संरक्षक डॉ. ललित के पंवार ने टूरिज्म इन राजस्थान पर चर्चा करते हुए इसे एक वास्तविक उद्योग (डि फैक्टो इन्डस्ट्री) बताया और पर्यटन क्षेत्र की ‘री-इमेजिन‘ और ‘री-इन्वेंट‘ करने की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने सामाजिक, मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक पहलुओं को शामिल करते हुए सस्टेनेबिलिटी के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा प्रत्येक गंतव्य की पर्यावरण और सांस्कृतिक वहन क्षमता का आकलन करके ही निर्णय लेने की प्रक्रियाओं को आगे बढ़ाना चाहिए।
हरिश्चंद्र माथुर राजस्थान राज्य लोक प्रशासन संस्थान के महानिदेशक नवीन महाजन ने व्यापक सामाजिक परिवर्तन को सरल बनाने के लिए जीवनशैली में जरूरी बदलाव की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने होटलों के लिए ग्रीनको रेटिंग के महत्व और इंडियन ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल (आईजीबीसी) की भूमिका पर भी चर्चा की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आतिथ्य उद्योग में सस्टेनेबिलिटी और ‘रिस्पॉन्सिबल प्रैक्टेसिस‘ को बढ़ावा देने के लिए होटलों में ग्रीनको रेटिंग लागू करना महत्वपूर्ण है। ये रेटिंग होटलों के पर्यावरणीय प्रदर्शन का आकलन करने के लिए एक विश्वसनीय बेंचमार्क के रूप में काम करती हैं, जो उन्हें पर्यावरण-अनुकूल उपायों को अपनाने और उनके इकोलॉजिकल फुटप्रिंट्स को कम करने के लिए प्रोत्साहित करती हैं। उन्होंने होटलों सहित ग्रीन बिल्डिंग्स के लिए गाइडेंस और सर्टिफिकेशन प्रदान करने, ऊर्जा दक्षता, जल संरक्षण, अपशिष्ट प्रबंधन और समग्र पर्यावरणीय जिम्मेदारी को बढ़ावा देने में आईजीबीसी की भूमिका पर प्रकाश डाला।
एफएचटीआर के प्रेसिडेंट अपूर्व कुमार ने कहा कि पर्यटकों की बढ़ती संख्या से प्राकृतिक संसाधनों के कम होने का ख़तरा है। आने वाली पीढ़ियों के लिए पर्यटन स्थलों की प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के लिए, यह आवश्यक है कि पर्यटन उद्योग के सभी हितधारक सस्टेनेबल प्रैक्टिस को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम करें। उन्होंने ईएसजी मानदंडों को अपनाने पर भी जोर दिया और कहा कि मकेनिज्म को इन्सेंटिव मॉडल पर बनाया जा सकता है।
पुस्तक ‘रीगल राजस्थान‘ का विमोचन
मार्ट के दौरान ‘रीगल राजस्थान – सस्टेनेबिलिटी एम्पावरिंग द फ्यूचर‘ पुस्तक का भी विमोचन किया गया। यह पुस्तक राजस्थान के आकर्षण जैसे बावड़ियों, किलों, महलों, हवेलियों आदि के माध्यम से पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाओं, राजस्थान के व्यंजनों और अन्य दिलचस्प विषयों पर प्रकाश डालती है।
अन्य नॉलेज शेयरिंग सेशंस-
सेशन ‘इनोवेटिव ऑफरिंग्स – न्यू प्रोडक्ट इन टूरिज्म- में, एफएचटीआर के संरक्षक, डॉ. ललित के पंवार ने इस बात पर जोर दिया कि कैसे राजस्थान का पर्यटन केवल 5 स्टार होटलों या रिसॉर्ट्स तक ही सीमित नहीं है, बल्कि हमारे गांवों में भी अनुभव करने के लिए बहुत कुछ है। उन्होंने राज्य सरकार से आर्ट और शिल्पकारों के लिए सामाजिक सुरक्षा की अपील की। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में ईको-फ्रैंडली इनोवेशंस पर भी प्रकाश डाला। श्री अमिताव भट्टाचार्य ने राजस्थान में पर्यटन के निर्माण में समुदाय की भागीदारी पर प्रकाश डाला। उन्होंने राजस्थान के फोक आर्टिजंस पर अधिक जोर देते हुए कहा कि हमारे गांव जो भी उत्पादन कर रहे हैं, हमें उसे वैश्विक स्तर पर ले जाने की जरूरत है। अपनी फोटोग्राफी और कला और संस्कृति के साथ अपने अनुभव के बारे में बात करते हुए, श्रवण राम ने चर्चा की कि कैसे ‘आर्ट इज हेरिटेज है‘। एचओडी, एमिटी यूनिवर्सिटी, डॉ. सौरभ ने राजस्थान की कलिनरी हेरिटेज पर प्रकाश डाला, उन्होंने बताया कि हमारे पारंपरिक व्यंजनों को आधुनिक शैली में कैसे प्रस्तुत किया जाए, लेकिन उन व्यंजनों की श्सोलश् को नहीं खोना चाहिए।
वहीं, सेशन ‘रीवाईल्डिंग इन ऑवर बैकयार्ड‘ में निदेशक, किशन बाग और अरावली बायो डायवर्सिटी पार्क, विजय धस्माना ने इस बारे में बात की कि कैसे हम अपनी वनस्पतियों से दूर हो रहे हैं और अपनी जलवायु और जैव विविधता को नुकसान पहुंचा रहे हैं। इसी प्रकार, सेशन ‘सस्टेनेबल वेस्ट मैनेजमेंट इन हॉस्पिटैलिटी सेक्टर‘ में सार्थक संस्थान के प्रबंध निदेशक, श्री इम्तेयाज़ अली ने इस बात पर अपने विचार व्यक्त किए कि प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाना समाधान नहीं है, बल्कि इसका प्रबंधन करना है।
राज्य की कला और संस्कृति संबंधित स्टॉल्स-
राजस्थान डोमेस्टिक ट्रेवल मार्ट के तहत राज्य के कुछ कारीगरों व कलाकारों को अपना हुनर प्रदर्शित करने का अवसर भी मिला है। मार्ट में रजिस्ट्रेशन काउंटर के निकट स्थान पर शिल्पकारों ने अपनी कला को प्रदर्शित किया, वहीं प्रथम तल पर कुछ संस्थानों के स्टॉल्स भी लगाए गए। जोधपुर के दरी बुनकर नेमाराम प्रजापत की ओर से यहां पंजा दरी बनाने की अपनी पुश्तेनी कला का लाइव डेमोंस्ट्रेशन दिया गया। उन्होंने पंजे के जरिए कॉटन की दरी बनाने की प्रक्रिया को समझाया। वहीं बेयरफुट कॉलेज, तिलोनिया के हथेली संस्थान से जुड़े आर्टिजन्स द्वारा टेक्सटाइल हैंडीक्राफ्ट प्रोडक्ट, बुनाई की जानकारी दी गई। संस्थान की ओर से हस्तनिर्मित लकड़ी के उत्पाद, पेन होल्डर, डायरी प्रदर्शित किए, जो पूरी जरह वेस्ट मैटेरियल्स से बने हुए हैं। इसी प्रकार बाढ़मेर के अनोपाराम द्वारा एप्लीक वर्क व एम्ब्रॉयडरी वर्क की बैडशीट, कुशन कवर ने ड्रेस मैटेरियल प्रदर्शित किया। पटोदी, बाढ़मेर के महेंद्र कुमार द्वारा डिस्प्ले किए गए हैंडमेड लेदर प्रोडक्ट्स भी विजिटर्स के लिए आकर्षण का केंद्र रहे। साथ ही पर्स, बैल्ट, मोजड़ी सहित कई उत्पादों को विजिटर्स ने न सिर्फ देखा, बल्कि इन्हें खरीदने में भी पीछे नहीं रहे।
प्रथम तल पर कुछ संस्थानों को स्टॉल्स के लिए स्थान उपलब्ध कराया गया। इनमें जयपुर के हैल्प इन सफरिंग की ओर से फंड रेजिंग के जरिए बनाए गए खूबसूरत वस्त्र प्रदर्शित किए गए। अरनाकृझरना, जोधुपर की ओर से बताया गया कि नई पीढ़ी को ग्रामीण संस्कृति के बारे में जागरूक करना इस म्यूजियम का मुख्य उद्देश्य है। सार्थक संस्थान, भोपाल द्वारा वेस्ट मैटेरियल्स के जरिए बनाए जा रहे विभिन्न उत्पादों को भी लोगों ने काफी पसंद किया। संस्थान के इम्तियाज अली ने बताया कि वे पर्यावरण की सबसे बड़ी समस्या प्लास्टिक वेस्ट को रिसायकल कर किस प्रकार विभिन्न उत्पाद बना रहे हैं। दीक्षा संस्थान की ओर से फड़ से पढ़ के बारे में जानकारी दी गई।
सांस्कृतिक कार्यक्रम हुआ आयोजन-
राजस्थान डोमेस्टिक ट्रेवल मार्ट के पहले दिन सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इस अवसर पर राजस्थान रूट्स बैंड के कलाकारों द्वारा राजस्थानी, सूफी और फॉक सॉन्ग की एक के बाद एक प्रस्तुति ने कार्यक्रम उपस्थित सभी को अपनी धुन पर थिरकने को मजबूर कर दिया
राजस्थान रूट्स बैंड के कलाकारो ने म्हारी रे मंगेतर काजळ वाली सुरमे वाळो रे नवाब जोड़ी रो जवाब नहीं…, ज़रा सा टेढ़ो हो जा बालमा महारो पल्लो लटके…, ओ खइके पान बनारस वाला खुल जाए बंद अकल का ताला…, मेरे रश्के क़मर तू ने पहली नज़र जब नज़र से मिलाई मज़ा आ गया…, दमादम मस्त कलंदर… और पिया रे पिया रे… जैसे गीतों की एक के बाद एक प्रस्तुति ने वहां उपस्थित सभी श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया। साथ ही लोक कलाकारो द्वारा खड़ताल और ड्रम की लय-ताल की एक साथ जुगलबंदी ने कार्यक्रम में श्रोताओं को रोमांचित कर दिया।