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नियमों के सरलीकरण और कार्यक्षमता संवर्द्धन से मिलेगी आमजन को राहत: अतिरिक्त मुख्य सचिव, राजस्व

राजस्थान मिशन 2030 अभियान के तहत राजस्व विभाग की राज्य स्तरीय कार्यशाला आयोजित

जयपुर,। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के आह्वान पर शुरू किए गए ‘राजस्थान मिशन 2030’ अभियान के तहत सोमवार को राजस्व विभाग की राज्य स्तरीय कार्यशाला आयोजित हुई। कार्यशाला में अतिरिक्त मुख्य सचिव, राजस्व अपर्णा अरोड़ा ने कहा कि 2030 तक विकसित राजस्थान के लिए हमारे सुझाव राजस्व विभाग की कार्य प्रणाली में सुधार लाने के साथ-साथ नियमों का सरलीकरण करते हुए आम व्यक्ति को अधिक से अधिक राहत पहुंचाने पर केंद्रित हैं। उन्होंने कार्यशाला में रखे गए सुझावों को लिखित रूप में लेने तथा सरकार तक पहुंचाने की व्यवस्था करने के निर्देश दिए।
पंत कृषि भवन के सभागार में सोमवार को आयोजित राज्य स्तरीय कार्यशाला में विभाग के अधिकारियों, कार्मिकों, सेवानिवृत्त अधिकारियों, प्रगतिशील किसानों एवं अन्य हितधारकों ने विचार-विमर्श कर 2030 तक विकसित राजस्थान के लिए तैयार किए जाने वाले विजन डॉक्यूमेंट के लिए अपने सुझाव प्रस्तुत किए।
कार्यशाला की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए संयुक्त शासन सचिव राजस्व विभाग, बालमुकुंद असावा ने बताया कि विभाग की ओर से मिशन राजस्थान 2030 को लेकर उपखंड स्तर पर आयोजित की जा रही बैठकों में प्राप्त हुए सुझावों को भी डाॅक्यूमेंट में शामिल किया जा रहा है।
कार्यशाला में रजिस्ट्रार, राजस्व मंडल अजमेर, महावीर प्रसाद, आयुक्त, भू प्रबंधन विभाग घनेंद्र भान चतुर्वेदी, अति. जिला कलेक्टर जयपुर अशोक शर्मा, सेवानिवृत्त आरएएस राधेश्याम बत्रा, सुरेश कुमार सिंधी व प्रगतिशील किसानों के साथ सभी हितधारकों ने विभिन्न सुझाव देते हुए सार्थक चर्चा की। किसानों ने फसल बीमा के लिए तिथि निर्धारण में मौसम और वर्षा चक्र को ध्यान में रखने का सुझाव दिया, वहीं गोचर भूमि पर अतिक्रमण की समस्या से निपटने के लिए भी सुझाव प्राप्त हुए।
विभाग की दक्षता बढ़ाने पर विचार—
विभाग की कार्यप्रणाली में सुधार के लिए अधिक से अधिक कार्य ऑनलाइन किए जाने का सुझाव दिया गया। वहीं, कार्मिकों की दक्षता में सुधार के लिए समय-समय पर क्षमता संवर्धन कार्यक्रमों के संचालन, विभाग के पुराने रिकॉर्ड का निस्तारण उचित ढंग से करने एवं पटवारी के प्रपत्रों को ऑनलाइन करने का सुझाव दिया गया। विभाग के कामकाज में गैरजरूरी दस्तावेज लेने से बचने का सुझाव भी दिया गया। साथ ही, एक महत्वपूर्ण सुझाव के रूप में राजस्व विवादों के त्वरित निस्तारण के लिए नोटिस तामील का संदेश मोबाइल पर भिजवाने पर विचार किया गया।
इन किसानों ने दिए सुझाव—
कार्यशाला में प्रगतिशील किसान राम नारायण चौधरी ने गोचर भूमि को अतिक्रमण मुक्त करने के लिए तहसीलदार को अतिरिक्त संसाधन देने के साथ अतिक्रमण मुक्त करवाए जाने के बाद संबंधित भूमि पर मेड़बंदी अथवा अन्य निर्माण करवाए जाने का सुझाव दिया।
किसान गंगाराम सेपट ने लघु व सीमांत किसानों के प्रमाण पत्र में आ रही समस्याओं के बारे में सुझाव दिया कि इसका निस्तारण ऑनलाइन सॉफ्टवेयर के जरिए होना चाहिए ताकि किसान को चक्कर न लगाने पड़ें।
कार्यशाला में मिले ये भी सुझाव—
– सीलिंग एक्ट में बदलाव पर विचार हो।
– सीमा ज्ञान का एक निश्चित परफॉर्मा तय किया जाए।
– पटवारी तथा उपखंड स्तर के अधिकारी की उपस्थिति का विवरण कार्यालय के बाहर सूचना पट्ट पर अंकित किया जाए।
– जिला स्तर पर शिकायत निवारण तंत्र का गठन हो, जिसकी बैठक प्रतिमाह निर्धारित की जाए।
– पटवारी स्तर के कार्मिकों की नियुक्ति को लेकर व्यावहारिक सोच अपनाई जाए।
– बेकार पड़ी भूमि का उपयोग गरीब किसानों को खेती के लिए देने में किया जा सकता है।
– भूमिहीन किसानों को भू आवंटन अथवा जमीन खरीद कर देने पर विचार हो।
– भूमि मुआवजे में केंद्र के समान एकरूपता लाने पर विचार हो।

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