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कोटा। निरोगी राजस्थान के तहत तम्बाकू मुक्त राजस्थान अभियान में तम्बाकू मुक्त कोटा बनाने हेतु मिडिया कार्याशाला का आयोजन शुक्रवार को होटल लाईलेक में जिला तम्बाकू नियन्त्रण प्रकोष्ठ व एस.आर.के.पी.एस. के संयुक्त तत्वाधान मे किया गया। कार्याशाला को सम्बोधित करते हुए। डीप्टी सी.एम.एच.ओ. डॉ. धनश्याम मीणा ने कहा कि कोटपा-2003 का प्रभावी क्रियान्वयन तथा विधालयों में तम्बाकू के दुष्प्रभावों की जानकारी देकर युवा पीढी को तम्बाकू मुक्त रखा जा सकता है। उन्होने कहा कि तम्बाकू मुक्त शिक्षण संस्थान बनाने से युवा पीढी को तम्बाकू उत्पादों से दुर रखा जा सकता है। उन्होने कहा कि जिला तम्बाकू नियन्त्रण प्रकोष्ठ व एस.आर.के.पी.एस. के संयुक्त तत्वाधान में कोटपा-2003 के तहत कार्यवाही व जागरूकता के कार्य किये जा रहे है। मीणा ने कहा कि कोटा शिक्षा नगरी को तम्बाकू शिक्षण संस्थान अतिशिध्र बनाया जायेगा। जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. सत्यनारायण मीणा ने कहा कि तम्बाकू उपभोग से टी.बी.,कैंसर सहित अनेक बिमारिया होने की सम्भावना रहती है।सुचना एवं जनसंपर्क विभाग के उपनिदेशक हरिओम गुर्जर ने मिडीया कार्यशाला को सम्बोधीत करते हुए कहा कि तम्बाकू मुक्त कोटा बनाने में मिडीया की महत्वपूर्ण भुमिका होती है। जिसे निभाते हुए मिडियाकर्मी अपने कार्यालय व धर को तम्बाकू मुक्त बनाये। उन्होने पत्रकारो को तम्बाकू उपभोग नही करने की सपथ भी दिलवाई।
तम्बाकू मुक्त राजस्थान अभियान के समन्वयक राजन चौधरी ने बताया कि विश्व में तम्बाकू उत्पादों के उपभोग से प्रतिवर्ष 80 लाख लोगो की मौत हो जाती है। वही भारत में प्रतिवर्ष 15 लाख लोगो की मौत होती है। जबकी राजस्थान में प्रतिवर्ष करीब 80 हजार लोग मौत के शिकार हो जाते है। चौधरी ने बताया कि राजस्थान में प्रतिदिन 220 लोग तम्बाकू से होने वाली बिमारी के कारण मौत के आगोश में चले जाते है। उन्होने कहा कि राजस्थान को तम्बाकू मुक्त राजस्थान बनाने हेतु सभी 33 जिलों में कार्य किया जा रहा है। राज्य सरकार के साथ भी एडवोकेसी की जा रही है। कि तम्बाकू उत्पादों को बन्द करें या फिर शराब की तरह निर्धारित दुकानांे के लाईसेन्स देकर बेचे ताकी युवा पाढी को तम्बाकू उत्पादों से दुर रखा जा सके। चौधरी ने बताया कि राज्य में प्रतिवर्ष 10 हजार करोड़ का राजस्व प्राप्त हो सकता है परन्तु वतर्मान में गत कई वर्षो से 350-400 करोड़ का ही राजस्व प्राप्त हो रहा है। चौधरी ने एक अध्ययन के आधार पर बताया कि राज्य मंे 15 वर्ष से अधिक उम्र वाले लोगो द्वारा करीब 22 हजार करोड़ रूपये का पान मसाला, गुटका व तम्बाकू उत्पादों का उपभोग किया जाता है। प्रतिदिन राज्य में करीब 61 करोड रूपये के तम्बाकू उत्पादों का उपयोग किया जाता है। राज्य की 2.40 करोड की जनता प्रतिदिन 61 करोड रूपये का अनाज नही खाते है। जबकी एक तिहाई लोग तम्बाकू उत्पाद खा जाते है।
अभियान के संयोजक राजन चौघरी ने बाताया कि एम्स जोधपुर द्वारा किये गये अनुंसधान व अध्ययन के अनुसार 7000 टन कचरा तम्बाकू उत्पादो से होता है। जिससे पर्यावरण को भारी नुकसान हो रहा है। उन्होने बताया कि तम्बाकू उत्पादो से होने वाले कचरे से 30 लाख बाल्टी प्लास्टीक की बनाई जा सकती है। 60 हजार पेड बचाये जा सकते है। 32 लाख नोट बुक बन सकती है। एक बोईग विमान 747 का निर्माण करवाया जा सकता है। और 3.58 लाख टी शर्ट बानाये जा सकते है। चौधरी ने कहा कि जो लोग पहले से तम्बाकू उपभोगी है वे तम्बाकू छोडे या नही लेकिन नई पीढी को तो बचाया जा सकता है। एन.टी.सी.पी. सैल के प्रभारी अमित शर्मा ने कहा कि मीडीया समाज का आईना है शिक्षा की नगरी कोटा को तम्बाकू मुक्त बनाकर युवाओं को नशे की प्रथम पीढी से बचाया जा सकता है। सभी वर्ग साथ मिलकर कार्य करे तो नशा मुक्त भारत व नशा मुक्त राजस्थान का सपना साकार हो सकता है। अन्त में एस.आर.के.पी.एस. प्रतिनिधी हिरेन्द्र सेवदा ने सभी का आभार प्रकट किया।