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सिरोही जिले की ग्राम पंचायत मुदरला में भूमि के हक से वंचित किसानों को उनका अधिकार दिलाने का हरसंभव प्रयास
जयपुर, 20 जुलाई। वन मंत्री हेमा राम चौधरी ने गुरूवार को विधानसभा में कहा कि विधानसभा क्षेत्र आबू पिण्डवाड़ा की ग्राम पंचायत मुदरला में करीब 50 वर्ष पहले 10 काश्तकारों की भूमि के भूलवश वनभूमि के तौर पर दर्ज हो जाने के कारण यह किसान वर्षों से अपनी जमीन के मालिकाना हक से वंचित हैं। उन्होंने सदन को आश्वस्त किया कि अब विभाग द्वारा पूरी संवेदनशीलता के साथ इन किसानों को उनका अधिकार दिलवाने का प्रयास किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस संबंध में विभाग के अधिकारियों को निर्देशित भी कर दिया गया है। उन्होंने राजस्व विभाग से भी कहा कि विभाग द्वारा स्वप्रेरणा से भू राजस्व अधिनियम की धारा 136 के तहत राजस्व रिकॉर्ड की इस त्रुटि को सुधारा जाना चाहिये।
वन मंत्री ने प्रश्नकाल के दौरान इस संबंध में सदस्यों द्वारा पूछे गये पूरक प्रश्नों का जवाब देते हुए बताया कि सिरोही जिले की आबूरोड़ तहसील के ग्राम मुदरला की 57.6 बीघा भूमि 1960 में वन विभाग के नाम पर दर्ज थी। राज्य सरकार के परिपत्र द्वारा 21 नवम्बर 1960 को बनास कमाण्ड एरिया में आने के कारण इस भूमि को वन विभाग से रिलीज कर काबिज आवंटन के लिए राजस्व विभाग को दिया गया था। राजस्व विभाग द्वारा एक फरवरी 1965 को जारी विज्ञप्ति के तहत वनखण्ड मुदरला पार्ट प्रथम एवं पार्ट द्वितीय को आरक्षित वन के रूप मे घोषित किया गया। लेकिन उक्त भूमि के बनास कमाण्ड एरिया में होने के कारण राजस्व विभाग द्वारा आवंटन आदेश 27 फरवरी 1966 द्वारा 10 आवंटियों को इस भूमि का आवंटन किया गया। तत्पश्चात् वन विभाग के सेटलमेंट अभियान वर्ष 1972-73 में जमाबन्दी में त्रुटिवश इस भूमि को वन विभाग के नाम दर्ज कर दिया गया।
चौधरी ने बताया कि उक्त भूमि आवंटियों में से एक आवंटी सोमा पुत्र काला द्वारा इस संबंध में उच्च न्यायालय में रिट लगाई गई। उच्च न्यायालय ने उसके पक्ष में निर्णय दिया। सोमा की मृत्यु के पश्चात् उसकी विधवा श्रीमती लाडू के नाम भूमि दर्ज कर दी गई। विभाग द्वारा उच्च न्यायालय के इस फैसले पर नो-अपील का निर्णय लिया गया। उन्होंने स्वीकार किया कि विभाग द्वारा एक आवंटी के मामले में दिये गए फैसले के आधार पर सभी आवंटियों को भी लाभ दिया जाना चाहिये था। उन्होंने स्पष्ट किया कि वन विभाग का इस भूमि पर कोई अधिकार नहीं है।
इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी ने कहा कि पूरे प्रदेश में ऐसे कई मामले हैं। उन्होंने कहा कि राजस्व विभाग को स्वः प्रेरणा से अभियान चलाकर राजस्व रिकॉर्ड में ऐसी त्रुटियों को सुधारा जाना चाहिये, ताकि किसी को भी अपने अधिकार से वंचित नहीं रहना पड़े और आमजन को राहत मिले।
इससे पहले वन मंत्री ने विधायक समाराम गरासिया के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में बताया कि मुदरला ग्राम पंचायत में वनखण्ड नहीं होने के बावजूद ग्राम मुदरला, पटवार हल्का अमथला, भू.अभि.नि. किवरली, तहसील आबू रोड के खसरा संख्या 111/10 रकबा 57.06 बीघा भूमि राजस्व विभाग की जमाबंदी में वन विभाग के नाम दर्ज है। उन्होंने जमाबंदी की प्रति सदन के पटल पर रखी।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में विभाग अन्तर्गत प्रचलित अधिनियम/नियम/ परिपत्र अनुसार राजस्व विभाग की जमाबंदी में वन विभाग के नाम दर्ज वन भूमि को पंचायत क्षेत्राधिकार में देने का कोई प्रावधान नहीं है।