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झुंझुनूं,(6 अगस्त 2023)। मुकुंद सेवा सदन मे कलावटिया परिवार द्वारा आयोज़ित मद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ मे छठवें दिवस 6 अगस्त रविवार को व्यासपीठ से हरि शरण जी महाराज ने रास लीला, कंस वध की कथा सुनाई एवं रूक्मणी विवाह की कथा के साथ जीवंत झांकी की प्रस्तुति की गयी।
महाराज ने बताया कि भगवान विष्णु के पृथ्वी लोक में अवतरित होने के प्रमुख कारण थे, जिसमें एक कारण कंस वध भी था।
कंस के अत्याचार से पृथ्वी त्राहि त्राहि जब करने लगी तब लोग भगवान से गुहार लगाने लगे। तब कृष्ण अवतरित हुए। कंस को यह पता था कि उसका वध श्रीकृष्ण के हाथों ही होना निश्चित है। इसलिए उसने बाल्यावस्था में ही श्रीकृष्ण को अनेक बार मरवाने का प्रयास किया, लेकिन हर प्रयास भगवान के सामने असफल साबित होता रहा। 11 वर्ष की अल्प आयु में कंस ने अपने प्रमुख अक्रुरजी के द्वारा मल्ल युद्ध के बहाने कृष्ण, बलराम को मथुरा बुलवाकर शक्तिशाली योद्धा और पागल हाथियों से कुचल वाकर मारने का प्रयास किया, लेकिन वह सभी श्रीकृष्ण और बलराम के हाथों मारे गए और अंत में श्रीकृष्ण ने अपने मामा कंस का वध कर मथुरा नगरी को कंस के अत्याचारों से मुक्ति दिला दी। कंस वध के बाद श्रीकृष्ण ने अपने माता-पिता वसुदेव और देवकी को जहां कारागार से मुक्त कराया, वही कंस के द्वारा अपने पिता उग्रसेन महाराज को भी बंदी बनाकर कारागार में रखा था, उन्हें भी श्रीकृष्ण ने मुक्त कराकर मथुरा के सिंहासन पर बैठाया।
कथा में आयोजक कलावटिया परिवार से सुशीला देवी, सत्येन्द्र, सतीश , विनोद, योगेश, देवेंद्र, पीयूष , अक्षय अभय , रवि, अनिल, संदीप , सविता, योगिता, त्रिवेणी, मंजु , प्रियसी , शर्मिला, प्रमिला, उर्मिला, प्रतीक्षा , निकिता, अनुसुइया, योगिता, प्रियंका, सारा एवं सानिया कलावटिया परिवार सहित संपत्ति जोशी, मुन्नी खाजपुरिया, आशा खाज पुरिया, सुमन, संतोष,अंजु पुरोहित, अनिल जी शर्मा, वापी, राजेंद्र व्यास, राकेश व्यास, परमेश्वर हलवाई, डा. डी एन तुलस्यान, शिवचरण पुरोहित, अजीत राणासरिया, रामचंद्र पाटोदा, निर्मल कुमावत, दिनेश ढंढारिया, कांति प्रसाद ढंढ, ललित शर्मा, वशिष्ठ कुमार शर्मा, ओम प्रकाश शर्मा, दिवाकर शर्मा, शशिकांत पंसारी, रूपेश तुलस्यान, कुन्दन सिंगडोदिया सहित सैंकड़ों की संख्या में श्रद्धालु गण उपस्थित थे।
आयोजक सुशीला देवी कलावटिया व संयोजक सत्येन्द्र कलावटिया ने बताया की कल की कथा में शिशुपाल वध और सुदामा चरित्र प्रसंग के साथ कथा को विश्राम दिया जाएगा।