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झुंझुनूं, (07 अगस्त 2023)।मुकुंद सेवा सदन मे कलावटिया परिवार द्वारा आयोज़ित मद्भागवत कथा का विश्राम सोमवार को सुदामा चरित्र व महाआरती के साथ हुआ। कथावाचक हरि शरण जी महाराज ने भगवान कृष्ण और उद्धव के सुंदर प्रसंग का वर्णन किया। इसे सुनकर सभी श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो गए। कथा वाचक ने कहा एक समय भगवान श्री कृष्ण उदास बैठे थे, तभी उनके मित्र व परम भक्त उद्धव जी उनके पास आए और उनसे पूछा कि हे वासुदेव ऐसी कौन सी बात है, जिससे आप उदास हैं। तब श्री कृष्ण ने कहा कि हमें गोपियों की याद सता रही है। आप गोकुल जाओ और गोपियों को समझाओ कि कृष्ण जल्द गोकुल लौटेंगे। जब उद्धव ने गोपियों से श्रीकृष्ण प्रेम मोह छोड़ने की बात कही तो गोपियों ने कहा कि जिसे प्रेम का ज्ञान नहीं, वह ज्ञानी नहीं हो सकता। गोपियों का श्रीकृष्ण के प्रति प्रेम देख उद्धव का अभिमान चूर चूर हो गया। कथा में आए श्रद्धालु कथा के प्रसंग सुन मंत्रमुग्ध हो गए साथ ही भजनों की प्रस्तुति ने भी श्रद्धालुओं का मन मोह लिया। उन्होंने बताया कि भगवान श्री कृष्ण के आठ पट रानियां थीं और 16100 राजाओं की कन्याओं को कारागृह से मुक्त करवा कर उन सभी से विवाह किया। इस प्रकार भगवान कृष्ण के 16108 रानियां हुई।
महाराज ने सुदामा मिलन कथा में बताया कि प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में कोई न कोई ऐसा मित्र अवश्य ही होता है, जिससे वह अपने मन की बात कहता है। लेकिन भौतिक दृष्टि से देखे तो सुदामा कितने सौभाग्यशाली है कि उन्हें अपने मन की बात कहने के लिए स्वयं श्रीकृष्ण मिले। मित्र वह है जो अपने मित्र को सही दिशा प्रदान करे। जो मित्र की गलती पर उसे रोके और सही राह दिखाकर सहयोग करें। इतिहास में कर्ण और दुर्योधन की मित्रता व श्रीकृष्ण और सुदामा इसका उदाहरण है। कथा में श्री कृष्ण एवं सुदामा मिलन की जीवंत झांकी विशेष आकर्षण का केंद्र रही।
कथा में आयोजक कलावटिया परिवार से सुशीला देवी, सत्येन्द्र, सतीश , विनोद, योगेश, देवेंद्र, पीयूष , अक्षय अभय , रवि, अनिल, संदीप , सविता, योगिता, त्रिवेणी, मंजु , प्रियसी , शर्मिला, प्रमिला, उर्मिला, प्रतीक्षा , निकिता, अनुसुइया, योगिता, प्रियंका, सारा एवं सानिया कलावटिया परिवार सहित शिवचरण पुरोहित, राजकुमार तुलस्यान, नारायण जालान, डा. डीएन तुलस्यान, श्रवण केजडीवाल, परमेश्वर हलवाई, राजेंद्र व्यास, कांति प्रसाद ढंड, दिनेश ढंढारिया, दिवाकर शर्मा, विजय कुमार जोशी, ओम प्रकाश ढंड, निर्मल कुमावत, रामचंद्र पाटोदा, रूपेश तुलस्यान, कुंदन सिंगदोदिया, सुमन, संतोष, अंजु पुरोहित, संपति जोशी, मुन्नी, आशा खाजपुरिया एवं शशिकांत पंसारी सहित सैंकड़ों की संख्या में श्रद्धालु गण उपस्थित थे।